Ajinomoto Kya Hai | अजीनोमोटो क्या है? | Ajinomoto in Hindi | Ajinomoto Hindi Name | Ajinomoto Salt In Hindi | Chemical Name Of Ajinomoto | Harmful Effects Of Ajinomoto | Ajinomoto Kis Chij Se Banta Hai | Ajinomoto Ke Nuksan | Ajinomoto Kya Hota Hai | मोनोसोडियम ग्लूटामेट | अजीनोमोटो के नुकसान | अजीनोमोटो हिंदी
आजकल ज्यादातर लोकल फास्टफूड की शॉप पर या बहुत से यूट्यूब चैनल्स की रेसिपी में कुछ जरूरी चीजों के अलावा, स्वाद को बढ़ाने के लिए एक खास चीज डाली जाती है, जिसे ‘अजीनोमोटो’ के नाम से जानते है, लेकिन क्या से सिर्फ स्वाद बढ़ाने के काम आता है या इसके अलावा और भी कुछ करता है ये हमें नहीं पता।
Hello Friends, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है, अजीनोमोटो के बारे में… यह क्या होता है? अजीनोमोटो खाने में डालने के क्या फायदे और नुकसान है? इसको कैसे बनाया जाता है और इससे जुड़ी अन्य चीजों के बारे में उम्मीद करता हूँ आपको यह पसंद आएगा।
अजीनोमोटो क्या है Ajinomoto Kya Hai –

अजीनोमोटो एक सफेद सा दानेदार दिखने वाला एक पाउडर है, इसका प्रयोग आमतौर पर खाने में स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
अजीनोमोटो का वास्तविक नाम अजी-नो-मोटो (味の素) है, जिसका जापानी भाषा में अर्थ होता है “स्वाद का सार”
यह नमक की तरह थोड़ा लंबा-लंबा होता है, लेकिन दिखने में नमक से थोड़ा चमकीला है, इसलिए इसे अजीनोमोटो साल्ट भी कहा जाता है इसके अलावा अजीनोमोटो को MSG के नाम से भी जाना जाता है, MSG का फुल फाॅर्म “Mono Sodium Glutamate” (मोनोसोडियम ग्लूटामेट) है।
अजीनोमोटो ग्लूटामिक अम्ल का एक सोडियम लवण है, एमएसजी मौजूद ग्लूटामेट ही भोजन में यूमामी स्वाद लाता है, यह अम्ल कुदरती रूप से मिलनेवाला सबसे सुलभ गैर-ज़रूरी अमीनो अम्ल है।
अमरीका के खाद्य और दवा प्रशासन ने एमएसजी को सामान्यतः सुरक्षित समझे जानेवाले (जीआरएएस) के रूप में और यूरोपीय संघ ने भोजन योज्य के रूप में वर्गीकृत किया है।
अजीनोमोटो का प्रयोग खाने में यूमामी टेस्ट को पैदा करने के लिए किया जाता है, यह यूमामी टेस्ट नमकीन, मीठा, खट्टा और कड़वा सभी स्वाद को लिए पाँचवाँ टेस्ट होता है, जो कि मुंह में जाते ही एक अलग एहसास देता है।
आमतौर पर खाने में इसका प्रयोग भोजन के स्वाद को बढ़ा देता है, इसका स्वाद हमारी जीभ को पसंद आता है।
भारत में इसका चलन चाइनीज डिश में ज्यादातर किया जाता है और शायद वहीं से यह भारतीय बाजार में भी आया।
अगर आप चाइनीज डिश घर पर बना रहे है तो संभव है कि उसमें वह स्वाद न मिल पाए जो कि होटल या रोड साइड चाइनीज फास्टफूड की शॉप पर मिलता है।
इसके पीछे का कारण अजीनोमोटो ही है, होटल वाले अजीनोमोटो का उपयोग करके खाने को स्वादिष्ट बनाते है।
MSG की खोज –
अजीनोमोटो की खोज एक जापानी प्रोफेसर “किकुनेई इकेडा” ने वर्ष 1908 में ग्लूटामिक अम्ल को एक नए स्वाद वाले पदार्थ के रूप में समुद्री-घास ‘लमिनेरिया जपोनिका’ और ‘कोंबू’ से जलीय निष्कर्षण तथा क्रिस्टलीकरण मेथड से अलग किया और इस प्रकार बने नए पदार्थ के स्वाद को यूमामी नाम दिया।
‘कटसुओबुशी’ और कोंबू से बनी जापानी शोरबे में एक विलक्षण स्वाद होता है, यह स्वाद मीठे, नमकीन, खट्टे और कड़ुए स्वाद से अलग था और इसको उस समय तक वैज्ञानिक रूप से वर्णित नहीं किया था।
प्रोफेसर “किकुनेई इकेडा” ने इस स्वाद के बारे में पता लगाने और इसकी पुष्टि करने के लिए कि उमामी स्वाद आयनीकृत ग्लूटामेट के कारण ही आता है।
इसके लिए कैल्शियम, पोटैशियम, अमोनियम और मैग्नीशियम ग्लूटामेट जैस अनेक ग्लूटामेट लवणों के स्वाद संबंधी गुणों का अध्ययन किया।
उन्हें प्रयोग में यह मिल कि इन सभी लवणों ने यूमामी स्वाद पैदा किया जिसके साथ कुछ धात्विक स्वाद भी मिला हुआ था क्योंकि उनमें अन्य खनिज भी थे।
इन सब लवणों में, सोडियम ग्लूटामेट सबसे अधिक घुलनशील और खाने योग्य था और इसका क्रिस्टलीकरण भी आसानी से होता था।
बाद में प्रोफेसर इकेडा ने इस उत्पाद का नाम “मोनोसोडियम ग्लूटामेट” रखा और इस तत्व के निर्माण हेतु पेटेंट के लिए अप्लाइ किया।
बाद में सुज़ुकी भाइयों ने 1909 में अजी-नो-मोटो के नाम से इसका व्यवसायिक उत्पादन करना शुरू किया।
यहीं दुनिया में पहली बार इस भयानक तत्व का पहली बार उत्पादन हुआ और फिर पूरी दुनिया में पहुँचा।
अजीनोमोटो कैसे बनाया जाता है? –
1. वानस्पतिक प्रोटीनों के हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से जल-अपघटन विधि द्वारा, जिससे पेप्टाइड बंध विशृंखलित हो जाते हैं, यह विधि 1909 -1962 तक प्रचलित थी।
2. एक्रिलोनाइट्राइल से सीधे रासायनिक संश्लेषण द्वारा, इस तरीके का प्रयोग 1962 – 1973 तक किया जाता था।
3. तीसरी विधि जीवाणुओं द्वारा किण्वन (फ़र्मेंटेशन) से, यह तरीका वर्तमान वर्तमान में प्रयोग किया जाता है।
पहले MSG बनाने की प्रक्रिया में जल-अपघटन के लिए गेहूँ के लासे (ग्लूटेन) का उपयोग किया जाता था, क्योंकि उसमें 100 ग्राम प्रोटीन में 30 ग्राम ग्लूटामेट और ग्लूटामाइन होता है।
लेकिन अजीनोमोटो की निरंतर बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता महसूस हुई, तो उत्पादन की नई विधियों का अध्ययन होने लगा ताकि और ज्यादा उत्पादन किया जा सके।
जापान में 1950 के दशक के मध्य में पॉलीएक्रिलिक रेशा उद्योग का आरंभ हुआ और तब एक्रिलोनाइट्राइल को एमएसजी के संश्लेषण हेतु प्रारंभिक वस्तु के रूप में अपनाया गया।
वर्तमान में, विश्व में अधिकांश एमएसजी का निर्माण जीवाणुओं द्वारा किण्वन (फ़र्मेंटेशन) से होता है, यह विधि शराब, सिरका, दही और यहाँ तक चॉकलेट तक के उत्पादन के लिए अपनाई जाने वाली विधि के जैसी ही तकनीक है।
सोडियम को बाद में उदासीनीकरण के चरण में मिलाया जाता है, फ़र्मेंटेशन के दौरान, अमोनिया और शकरकद, गन्ने, टैपियोका या शोरे से प्राप्त कार्बोहाइड्रेटों के मिश्रण में उगाए गए चुनिंदा जीवाणु (कोरिनेफोर्म बैक्टीरिया) मिश्रण में अमीनो एसिड उत्सर्जित करते हैं, जिसमें से एल-ग्लूटामेट को अलग करते है।
बनाने की अंतिम प्रक्रिया में छानने, संकेंद्रित करने, अम्लीकरण और क्लिस्टलीकरण के अंतिम उत्पाद शुद्ध ग्लूटामेट, सोडियम और जल होते हैं, जिसमें से MSG को अलग कर लिया जाता है।
यह एक सफेद, गंध-रहित, क्रिस्टली चूर्ण के रूप में प्राप्त होता है, जो विलयन में ग्लूटामेट और सोडियम में घुल जाता है, यह पानी में अच्छी तरह घुलता है, लेकिन यह आर्द्रताग्राही नहीं है और ईथर जैसे साधारण जैविक विलायकों में यह लगभग अविलेय पदार्थ है।
सामान्य तौर पर MSG भोजन बनाने की सामान्य स्थितियों में स्थिर रहता है, खाना पकाने के दौरान, एमएसजी विघटित नहीं होता है।
क्योवा-हैको कोग्यो कंपनी लिमिटेड ने एल-ग्लूटामेट के उत्पादन के लिए प्रथम औद्योगिक किणवन विधि विकसित की, आजकल, एमएसजी के औद्योगिक उत्पादन में शर्करों से ग्लूटामेट की पैदावार में और उत्पादन दर में निरंतर सुधार हो रहा है, जो इस पदार्थ की माँग को पूरा करने में मदद कर रहा है।
अजीनोमोटो के लाभ –
वैसे तो यह हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है लेकिन तभी जब यह प्राकृतिक रूप से हमें मिले।
दैनिक रूप से खाए जाने वाले कुछ खाद्य पदार्थो में प्राकृतिक रूप से ग्लूटामेट पाया जाता है, जैसे – टमाटर, समुद्री मछलियों, पनीर और मशरूम में ये प्रचुर मात्रा में पाए जाते है,
यदि हम इन चीजों का सेवन करते है तो हमें प्राकृतिक रूप से मिल जाता है, जिसका कोई भी हानिकारक प्रभाव नहीं है।
अमरीका के खाद्य और दवा प्रशासन (फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) ने एमएसजी को सामान्यतः सुरक्षित समझे जानेवाले (जीआरएएस) के रूप में और यूरोपीय संघ ने भोजन योज्य के रूप में वर्गीकृत किया है।
अजीनोमोटो का उपयोग –
वर्ष 1908 में एक ब्रांड के रूप में व्यावसायिक तौर पर सामने आया, आज लगभग हर देश में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।
इसका उपयोग विशेष रूप से चायनीज़ खाने में किया जाता है, चायनीज़ खाने जैसे – नूडल्स, सूप, हक्का एग नूडल्स, पिज्जा, बर्गर, फ्राइड राइस, मंचूरियन और मैगी मसाला आदि कई प्रकार के व्यंजन में इसका भरपूर इस्तेमाल किया जाता है।
खानों में अलग से स्वाद बढ़ाने वाले उत्पादों जैसे – टोमॅटो सॉस, सोया सॉस, केचप, सिरका, चिली सॉस में काफी प्रयोग होता है।
बाजार में मिलने वाले अधिकांश पैकेज्ड प्रोडक्टस जैसे – चिप्स, कुरकुरे, नमकीन, टॉफी इत्यादि में किया जाता है।
इसके अलावा विदेशी डिश के भारतीयकरण होने के कारण इसका चलन भारतीय व्यंजनों में भी होने लगा है।
अगर स्वाद को निकाल दिया जाए तो अजीनोमोटो का प्रयोग सड़े खाने के स्वाद को बरकरार रखने, बेकार खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए और खाने को ज्यादा समय तक खाने योग्य बनाए रखने के लिए किया जाता है।
अजीनोमोटो के नुकसान –
आजकल कई यूट्यूब चैनल्स की विडिओ में इसे धड़ल्ले से उपयोग करते देख सकते है, शहरों और गावों में शादी विवाह या किसी छोटे फंक्शन में हलवाई द्वारा, पास पड़ोस की फास्ट फूड कॉर्नर, किसी होटल में इसका प्रयोग आम हो चुका है।
वो कहते है न कि “किसी झूठ को अगर बार-बार बोल जाए तो यह सच लगने लगता है”, अजीनोमोटो के साथ भी कुछ ऐसा ही है।
अब हम यह अपने आसपास भी रोज प्रयोग होते देख रहे है तो हमें यह लगता है इसका क्या ही नुकसान होगा, क्योंकि हमें यह आसानी से उपयोग करने लायक बनाया जा रहा है।
और इसपर एक अच्छी बात यह कि यह इतना सस्ता मिलता है कि आसानी से किसी भी चीज के अंदर इसकी अच्छी खासी मात्रा प्रयोग की जा सकती है।
स्वाद बढ़ाने के अलावा यह हमारे शरीर को केवल नुकसान पहुँचाता है, अब यह इतना आम हो चुका है कि इससे बचना बहुत मुश्किल है।
- अजीनोमोटो युक्त भोजन हमारे जीभ की स्वाद कलिकाओं को कजफ्यूज कर देता है, जिससे हमें कोई भी स्वाद अच्छा लगने लगता है।
- इसका प्रयोग करना एक प्रकार से नशे की लत जैसा होता है, यदि आप एक बार अजीनोमोटो युक्त भोजन खा लेते है, तो आप उस भोजन को नियमित खाने की इच्छा रखने लगेंगे।
- रोजाना MSG के सेवन से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाती है, जब आप एमएसजी मिले पदार्थो का सेवन करते है, तो रक्त में ग्लूटामेट का स्तर बढ़ जाता है, जिस वजह से इसका शरीर पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- एमएसजी को एक धीमा हत्यारा (साइलेंट किलर) भी कहा जा सकता है, यह आँखों की रेटिना को नुकसान पहुंचाता है साथ ही यह थायराईड और कैंसर जैसे रोगों के जिम्मेदार है।
- यह हमारे शरीर में सोडियम की मात्र बढ़ देता है, जिससे हमें ज्यादा भूख लगती और व्यक्ति ज्यादा खाना खाता है जिसका परिणाम मोटापे के रूप में सामने आता है।
- गर्भवती महिलाओं को अधिक अजीनोमोटो का सेवन करने से महिलाओं और बच्चे के बीच पोषक तत्वों का आदान-प्रदान का संतुलन खराब हो जाता है, यदि कोई महिला अजीनोमोटो का अधिक सेवन कर रही है तो उसे बांझपन जैसी खतरनाक समस्या से जूझना पड़ सकता है।
- अधिक मात्रा में अजीनोमोटो मेटाबाॅलिजम को हानि पहुंचाता है, MSG का सेवन करने से मेटाबाॅलिजम कम होने लगता है और शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलने में परेशानी आने लगती है, जो भविष्य में पेट से जुड़ी समस्याओं का कारण बनता है।
- MSG वाले फास्टफूड का सेवन सीने में तेज दर्द और हार्ट की मांसपेशियों में खिंचाव होने का कारण बन सकता है, यह अधिकतर मोटे लोगों में देखने को मिलता है, इसलिए MSG आपके हार्ट प्रॉब्लम का कारण हो सकता है।
- अजीनोमोटो शरीर में सोडियम की मात्रा को बढ़ा देता है, इससे रक्तचाप बढ़ जाता है, यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो आपको अजीनोमोटो के सेवन से बचना चाहिए।
- MSG का सेवन करने से कई प्रकार के सिंड्रोम के शिकार भी हो सकते है, इससे पेट दर्द, चक्कर आना, उल्टी, हाथ पैर में सूजन आदि समस्याएँ जन्म ले सकती है।
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अजीनोमोटो के अलावा ऐसे कुछ और तत्व है जिन्हें कि खाने में मिलाया जाता है, जिसके बारे में आप इस विडिओ में देख सकते है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल –
अजीनोमोटो कैसे बनता है
वर्तमान में, विश्व में अधिकांश एमएसजी का निर्माण जीवाणुओं द्वारा किण्वन (फ़र्मेंटेशन) से होता है, यह विधि शराब, सिरका, दही और यहाँ तक चॉकलेट तक के उत्पादन के लिए अपनाई जाने वाली विधि के जैसी ही तकनीक है।
अजीनोमोटो किस काम आता है
इसका उपयोग विशेष रूप से चायनीज़ खाने में किया जाता है, चायनीज़ खाने जैसे – नूडल्स, सूप, हक्का एग नूडल्स, पिज्जा, बर्गर, फ्राइड राइस, मंचूरियन और मैगी मसाला आदि कई प्रकार के व्यंजन में इसका भरपूर इस्तेमाल किया जाता है।
अजीनोमोटो को हिंदी में क्या बोलते हैं
अजीनोमोटो को हिन्दी में भी इसी नाम से पुकार जाता है, इसका यह नाम जापानी भाषा से आया है।
अजीनोमोटो खाने से क्या होता है
आजकल कई यूट्यूब चैनल्स की विडिओ में इसे धड़ल्ले से उपयोग करते देख सकते है, शहरों और गावों में शादी विवाह या किसी छोटे फंक्शन में हलवाई द्वारा, पास पड़ोस की फास्ट फूड कॉर्नर, किसी होटल में इसका प्रयोग आम हो चुका है, स्वाद बढ़ाने के अलावा यह हमारे शरीर को केवल नुकसान पहुँचाता है, अब यह इतना आम हो चुका है कि इससे बचना बहुत मुश्किल है।
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Summary –
हमारी अच्छी सेहत हमारे खानपान पर निर्भर करता है, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी मे लोग Instatnt Food की तरफ ज्यादा जा रहे है, यदि आप भी ऐसा ही कुछ खा रहे है तो सोचिए आप क्या खा रहे है।
स्वस्थ होने पर यह गलती नहीं समझ आती, हम खुद को कोसते है जब हम तमाम कोशिशों के बावजूद बीमार पड़ जाते है।
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