Bhugol Kya Hai | भूगोल क्या है? | Bhugol Kya Hai in Hindi | Bhugol in Hindi
स्कूल में कई सारे विषयों के अलावा हमें एक ऐसे विषय की जानकारी दी जाती है जिससे हमारा परिचय हमारे आसपास के भौगोलिक वातावरण और मौजद सारी चीजों से होता है।
जिसकी मदद से ही हम यह जान पाते है कि आखिर हमारे आसपास जो भी चीजें मौजूद है उनका हमारे जीवन में क्या महत्व है और बाकी के लोग के लिए भी वे क्या अहमियत रखते है, इन महत्वपूर्ण चीजों से रूबरू कराने वाला वह विषय है “भूगोल”।
Hello Friends, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज के इस लेख में हम बात करने जा रहे है भूगोल के बारे में भूगोल क्या है? इसका अध्ययन क्यों किया जाता है? यह क्यों जरूरी है? परीक्षाओं के लिए भूगोल कितना जरूरी है?
भूगोल क्या है? (Bhugol Kya Hai) –
भूगोल वह शास्त्र है जिसके अंतर्गत हम पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महादेश, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, डमरुमध्य, उपत्यका, अधित्यका, वन आदि) का अध्ययन करते है।
दूसरे शब्दों में “भूगोल वह विज्ञान सम्मत विषय है जिसमें मानव तथा उसके पर्यावरण के मध्य अंतर संबंध को प्रकट करता है।”
हमारे आसपास का स्थैतिक वातावरण जिसमें सभी जीवधारी निवास करते है, इसके अंतर्गत हम उन सभी चीजों का अध्ययन करते है जो धरती से संबंधित है, जैसे धरती पर मौजूद पहाड़, नदी, झीलें, वनस्पतियाँ, जलवायु, देशों के बारे में जानकारी इत्यादि चीजें सिखाई जाती है।
प्रकृति के विज्ञान के निष्कर्षों के बीच कार्य-कारण का संबंध स्थापित करते हुए पृथ्वीतल की विभिन्नताओं का मानवीय दृष्टिकोण से अध्ययन ही भूगोल का ही भूगोल का मुख्य उद्देश्य है, पृथ्वी की सतह पर जो विशेष स्थान हैं उनकी समताओं और विषमताओं का कारण तथा उनके पीछे छिपे कारणों को जानना भूगोल के अंतर्गत आता है।
अंग्रेजी में भूगोल “जिओग्राफी” (Geography) कहते है, अंग्रेजी भाषा में सबसे पहले भूगोल शब्द का प्रयोग “इरेटॉस्थेनीज” ने 276-194 ई. पू.के बीच में किया था जो कि एक ग्रीक विद्वान थे, Geography शब्द ग्रीक भाषा के दो मूल शब्दों “Geo” (पृथ्वी) और “Graphos” (वर्णन) को मिलकर बनाया गया है।
इन दोनों शब्दों को एकसाथ जोड़ने पर इसका अर्थ बनता है “पृथ्वी का वर्णन”, भूगोल के अंतर्गत हम जो भी चीजें पढ़ते है वह हमारी धरती से जुड़ी भिन्न-भिन्न चीजों के बारे में वर्णन ही होता है।
भूगोल (Geography) का जनक “हिकेटियस” को माना जाता है, जिन्होंने अपनी पुस्तक “जस पीरियोडस” अर्थात “पृथ्वी का वर्णन” में सबसे पहले भौगोलिक तत्वों को क्रमबद्ध रूप में समावेशित किया, तथा भूगोल के नामकरण और इस विषय को प्राथमिक स्तर पर इसे एक व्यवस्थित स्वरूप प्रदान करने का श्रेय यूनान (प्राचीन वर्तमान में- ग्रीक (Greece) के निवासियों को जाता है।
भूगोल का विकास –
19वीं शताब्दी तक भूगोल को स्वतंत्र विषय के रूप में अध्ययन करने के लिए मान्यता मिली, तथा 20वीं शताब्दी के आरंभ में भूगोल का विकास, मनुष्य और पर्यावरण के पारस्परिक संबंधों के अध्ययन के रूप में इसका विकास हुआ।
बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में भूगोल, मनुष्य और पर्यावरण के पारस्परिक संबंधों के अध्ययन के रूप में विकसित हुआ उस समय इसकी दो विचारधाराएं प्रचलित थी –
संभववाद – संभववाद के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में सक्षम है, तथा वह प्रकृति के द्वारा दिए गए अनेक संभावनाओं को अपनी इच्छा के अनुसार उपयोग कर सकता है भूगोलवेत्ता वाइडल-डि-ला ब्लाश और फैब्रे।
निश्चयवाद – इस सिद्धांत के अनुसार मनुष्य के सारे काम पर्यावरण द्वारा निर्धारित होते है, अतः मनुष्य को अपनी स्वेच्छापूर्वरक कुछ करने की स्वतंत्रता कम है, इस सिद्धांत को मानने वालों में रैटजेल जो कि नवीन निश्चयवाद के संस्थापक है इनके साथ ही रिटर, एलन सेम्पुल और हटींगटन जैसे भूगोलवेत्ता शामिल है।
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से भूगोल का विकास बड़ी ही तीव्र गति से हुआ, उस समय हार्टशॉर्न जैसे अमेरिकी और यूरोपीय भूगोलवेत्ताओं ने इसके विकास में अधिकतम योगदान दिया।
हार्टशॉर्न ने भूगोल को एक ऐसे विज्ञान के रूप में परिभाषित किया जो कि क्षेत्रीय विभिन्नताओं का अध्ययन करता है, वर्तमान भूगोलवेत्ता प्रादेशिक उपागम और क्रमबद्ध उपागम को विरोधाभासी की जगह पूरक उपागम के रूप में देखते हैं।
भूगोल के प्रकार –
भूगोल ने आज के समय में विज्ञान का दर्जा प्राप्त कर लिया है, यह पृथ्वी तल पर उपस्थित विविध प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूपों की व्याख्या करता है, भूगोल एक समग्र और इससे जुड़े अन्य दूसरे क्षेत्रीय विषयों से संबंधित अध्ययन का एक क्षेत्र है जो स्थानिक संरचना में भूत से भविष्य में होने वाले परिवर्तन का अध्ययन करता है।
भूगोल का क्षेत्र विविध प्रकार के विषयों जैसे पर्यावरण प्रबंधन, जल संसाधन, आपदा प्रबंधन, सैन्य सेवाओं, मौसम विज्ञान, स्थान परिवर्तन, विविध सामाजिक विज्ञानों पर्यटन, आवासों तथा स्वास्थ्य सम्बंधी क्रियाकलापों में है।
विद्वानों के अनुसार भूगोल के तीन मुख्य विभाग है, गणितीय भूगोल, भौतिक भूगोल तथा मानव भूगोल।
गणितीय भूगोल में पृथ्वी का सौर जगत के अन्यान्य ग्रहों और उपग्रहों आदि से संबंध के बारे में जानकारी दी जाती है और उन सबके साथ उसके सापेक्षिक संबंध का वर्णन होता है, गणितीय भूगोल के विभाग का बहुत कुछ संबंध गणित ज्योतिष से भी है।
भौतिक भूगोल के अंतर्गत पृथ्वी के भौतिक रूप का वर्णन होता है और उससे यह जाना जाता है कि नगर, देश, नदी, पहाड़, इत्यादि किसे कहते है साथ ही अमुक नगर, देश, नदी या पहाड़ आदि कहाँ पर स्थित हैं, साधारणतः भूगोल से उसके इसी विभाग का अर्थ लिया जाता है और जब भी हम भूगोल शब्द सुनते है तो सर्वप्रथम हमारे मन में इसी से जुड़े ख्याल मन में आते है।
भूगोल का तीसरा विभाग मानव भूगोल है इस विभाग के अन्तर्गत राजनीतिक भूगोल भी आता है जिसमें इस बात का शोध किया जाता है कि भाषा, जाति, शासन, राजनीति और सभ्यता आदि के विचार से पृथ्वी के कौन विभाग है और उन विभागों का विस्तार और उनकी सीमा आदि क्या है।
विद्वानों की एक अन्य दृष्टि से भूगोल के दो प्रधान अंग है – शृंखलाबद्ध भूगोल तथा प्रादेशिक भूगोल, पृथ्वी के किसी विशेष स्थान पर शृंखलाबद्ध भूगोल की शाखाओं के संयोग को केंद्रित करने का परिणाम प्रादेशिक भूगोल है।
भूगोल एक समय के साथ प्रगतिशील विज्ञान है, प्रत्येक देश में इस वृहद विषय से जुड़े विशेषज्ञ अपने-अपने क्षेत्रों का विकास करने में लगे है, जिसके फलस्वरूप इसकी अनेकों शाखाएं और उप शाखाएं हो गई है –
आर्थिक भूगोल- इसकी शाखाएँ खनिज, कृषि, उद्योग, शक्ति तथा भंडार, व्यावसायिक, भूगोल और भू उपभोग, परिवहन एवं यातायात भूगोल हैं, अर्थिक संरचना संबंधी योजना भी भूगोल की एक उपशाखा है।
राजनीतिक भूगोल – इसके अंतर्गत भू राजनीतिक शास्त्र, औपनिवेशिक भूगोल, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, शीत युद्ध का भूगोल, सामरिक एवं सैनिक भूगोल इत्यादि शामिल हैं।
ऐतिहासिक भूगोल – प्राचीन, मध्यकालीन, आधुनिक वैदिक, पौराणिक इंजील से संबंधीत तथा अरबी भूगोल भी इसके अंग है।
रचनात्मक भूगोल – इसके भिन्न भिन्न अंग रचना मिति, कलामिति (फोटोग्रामेटरी), चित्रांकन, सर्वेक्षण आकृति-अंकन, आलोकचित्र, तथा स्थाननामाध्ययन हैं।
इसके अतिरिक्त भूगोल के अन्य खंड भी विकसित हो रहे हैं जैसे मनोवैज्ञानिक, गणित शास्त्रीय, ग्रंथ विज्ञानीय, दार्शनिक, ज्योतिष शास्त्रीय एवं भ्रमण भूगोल तथा स्थाननामाध्ययन हैं।
भौतिक भूगोल – भौतिक भूगोल के भिन्न-भिन्न शास्त्रीय अंग स्थलाकृति, तटीय स्थल रचना, मृत्तिका विज्ञान, भूस्पंदनशास्त्र, समुद्र विज्ञान, हिम-क्रिया-विज्ञान, वायु विज्ञान, जीव विज्ञान, चिकित्सा अथवा भैषजिक भूगोल तथा पुरालिपि शास्त्र हैं।
मानव भूगोल – यह भूगोल की वह शाखा है जिसके अंतर्गत मानव समाज के क्रियाकलापों और उनके परिणाम स्वरूप बने भौगोलिक प्रतिरूपों का अध्ययन किया जाता है।
मानव भूगोल के अन्तर्गत मानव के राजनैतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक तथा आर्थिक पहलू आते हैं, इस कारण से मानव भूगोल को अनेक श्रेणियों में बांटा जा सकता है, जैसे – आर्थिक भूगोल, कृषि भूगोल, राजनीतिक भूगोल, जनसंख्या भूगोल, परिवहन भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल, पर्यटन भूगोल इत्यादि।
भूगोल के अंतर्गत आने वाले टॉपिक –
वैसे तो भूगोल की बहुत सी शाखाएं है, जिनके बारे में हमने ऊपर पढ़ा है लेकिन यदि भौगोलिक दृष्टि से बात करें तो भूगोल के अंतर्गत स्कूल के सिलेबस में ये टॉपिक्स है जिनके बारे में हमें तैयारी करनी पड़ती है –
1. ब्रह्माण्ड, 2. सौरमंडल, 3. पृथ्वी और उसका सौर्थिक संबंध, 4. पृथ्वी की आन्तरिक संरचना, 5. स्थलमंडल, 6. महाद्वीप, 7. जलमंडल, 8. महासागरीय जलधाराएँ, 9. वायुमंडल, 10. विश्व की प्रमुख फसलें एवं उत्पादक देश
11. विश्व के प्रमुख खनिज एवं उत्पादक देश, 12. विश्व के विनिर्माण उद्योग, 13. विश्व के प्रमुख औद्योगिक नगर, 14. विश्व की प्रमुख जनजातियाँ, 15. विश्व की प्रमुख वनस्पति, 16. कबीलाई मानवों (tribal humans) के कुछ प्रमुख आवास, 17 विश्व के प्रमुख भौगोलिक उपनाम, 18. विश्व के प्रसिद्ध स्थान, 19 विश्व की प्रमुख भौगोलिक खोजें, 20. विश्व के महासागर
21. विश्व की प्रमुख नहरें, 22. विश्व की प्रमुख जलसन्धियों, 23. विश्व के प्रमुख जलडमरूमध्य 24. विश्व की प्रमुख नदियाँ, 25. नदियों के किनारे बसे विश्व के प्रमुख शहर, 26. विश्व के प्रमुख जलप्रपात, 27. विश्व की प्रमुख झीलें, 28. विश्व के प्रमुख पर्वतों के शिखर, 29 विश्व के प्रमुख द्वीप, 30. विश्व के प्रमुख पठार, 31. विश्व के प्रमुख रेगिस्तान, 32. विश्व के प्रमुख देशों की राजधानी एवं उनकी मुद्रा, 33. विश्व के भू-आवेष्ठित देश, 34. विश्व-प्रसिद्ध स्थल।
धरती पर पूरे विश्व के साथ भारत भी एक स्थान रखता है, इसलिए हमें इससे जुड़ी भौगोलिक परिस्थितियों के बारे में जानकारी होनी चाहिए, नीचे ये कुछ टॉपिक्स है जो भारतीय भौगोलिक परिस्थितियों से संबंधित है, भारत का भूगोल-
1. सामान्य जानकारी, 2. भारत का भौतिक स्वरूप, 3. भारत की नदियाँ, 4. भारत की प्रमुख झीलें, 5. भारत के प्रमुख जलप्रपात, 6. भारत की जलवायु, 7. भारत की मिट्टी, 8. भारत की कृषि, 9. भारत में सिंचाई, 10. भारत के खनिज संसाधन, 11. भारत के उद्योग, 12. भारत में परिवहन 13. भारत के पड़ोसी देशों के साथ लगने वाली सीमाओं की लंबाई 14. भारत के प्रमुख दर्रे तथा उनसे होकर गुजरने वाले प्रमुख रेल और सड़क मार्ग 15. अंडमान व निकोबार के पर्वत शिखर 16. प्रमुख जल अंतराल 17. भारत की मिट्टी 18. प्रमुख फसलों के जन्म स्थान 19. देश के प्रमुख हवाई अड्डे 20. भारत के प्रमुख बंदरगाह इत्यादि।
भूगोल क्या है?
भूगोल वह विज्ञान सम्मत विषय है जिसमें मानव तथा उसके पर्यावरण के मध्य अंतर संबंध को प्रकट करता है।
भूगोल के पिता का क्या नाम है?
भूगोल का पिता “हिकेटियस” को माना जाता है, जिन्होंने अपनी पुस्तक “जस पीरियोडस” में सबसे पहले भौगोलिक तत्वों को एक क्रमबद्ध रूप में समावेशित किया।
भूगोल कितने प्रकार के होते हैं?
भूगोल की तीन मुख्य शाखाएं मानी जाती है, भौतिक भूगोल, मानव भूगोल तथा प्रादेशिक भूगोल, इन तीनों को मानवीय परिघटनाओं के रूप में बांटा गया है, वैसे देखा जाए तो भूगोल की कई सारी शाखाएं है लेकिन, भौतिक भूगोल, मानव भूगोल तथा प्रादेशिक भूगोल तीन मुख्य शाखाएं मानी जाती है।
भूगोल शब्द कहां से आया है?
सबसे पहले भूगोल शब्द का प्रयोग “इरेटॉस्थेनीज” ने 276-194 ई. पू.के बीच में किया था जो कि एक ग्रीक विद्वान थे, Geography शब्द ग्रीक भाषा के दो मूल शब्दों “Geo” (पृथ्वी) और “Graphos” (वर्णन) को मिलकर बनाया गया है।
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