कांग्रेस पार्टी का इतिहास | कांग्रेस पार्टी का इतिहास pdf | कांग्रेस का इतिहास | Congress Party Ka Itihas PDF Download
अगर सन 2000 के दशक या इससे पहले के समय में भारतीय राजनीति को देखते है, तो इसमें एक ही पार्टी का नाम सबसे ऊपर दिखता है और वह है भारत राष्ट्रीय कॉंग्रेस।
साल 2014 के पहले भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस ने जिस बुलंदियों को छुआ था आज वह कुछ राज्यों तक ही सिमट गई है।
आखिर क्या है जिसने इसे भारत की एक सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित किया और भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस का इतिहास क्या है, जानेंगे इसके बारे में।
कांग्रेस पार्टी का इतिहास –
देश की सबसे पुरानी पार्टी ने स्थापना से लेकर अब तक की बड़े उतार चढ़ाव देखे है।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अधिकतर कांग्रेस के नाम से जाना जाता है, भारत के दो प्रमुख राजनैतिक दलों में से एक है।
कांग्रेस पार्टी की स्थापना ब्रिटिश शाशन काल में 28 दिसंबर 1885 को बम्बई के गोकुल दास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में A.O हयूम ने थिओसोफिकल सोसाइटी के 72 राजनैतिक कार्यकर्ताओं की सहायता से Congress Party की स्थापना की थी।
इसके संस्थापकों में ए॰ ओ॰ ह्यूम (जो कि थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य थे) साथ में दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा भी शामिल थे।
19वीं शताब्दी के अंत में और 20वीं सदी की शुरूआत से लेकर मध्य में, कांग्रेस भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में, अपने 1.5 करोड़ से अधिक सदस्यों और 7 करोड़ से अधिक प्रतिभागियों के साथ, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरोध में एक महत्वपूर्ण केंद्रीय भागीदार बनी।
सन 1947 में स्वतंत्रता के बाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई।
आज़ादी से लेकर 2014 तक, 16 आम चुनावों में से, कांग्रेस ने 6 में पूर्ण बहुमत जीता है और 4 में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया।
भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस कुल 49 वर्षों तक वह केंद्र सरकार का हिस्सा रही, इस कार्यकाल में भारत में, कांग्रेस के सात प्रधानमंत्री हुए, सबसे पहले जवाहरलाल नेहरू (1947 से 1964 तक), लाल बहादुर शास्त्री (1964 से 1966 तक), इंदिरा गांधी (1966 से 1977 और 1980 से 1984 तक) राजीव गांधी (1984 से 1989 तक) पी.वी. नरसिम्हा राव (1991 से 1996 तक) और मनमोहन सिंह (2004 से 2014 तक) थे।
साल 2014 के हुए आम चुनाव में, कांग्रेस पार्टी ने आज़ादी के बाद से अब तक का सबसे ख़राब आम चुनावी प्रदर्शन किया और 543 सदस्यीय लोक सभा में केवल 44 सीट जीत सकी।
इसके बाद से कॉंग्रेस कुछ राज्यों में अपनी सरकार बनाए रखने में सफल हुई है।
कांग्रेस पार्टी की स्थापना | 28 दिसंबर 1885 |
पार्टी मुख्यालय | नई दिल्ली |
कांग्रेस पार्टी के संस्थापक | एलन ऑक्टोवियो हयूम (स्कॉटलैंड) |
कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष | व्योमेश चंद्र बनर्जी |
कांग्रेस के 56 वें अधिवेशन के अध्यक्ष | डॉ. राजेन्द्र प्रसाद |
कांग्रेस पार्टी का पुराना नाम | भारतीय राष्ट्रीय संघ (स्थापना वर्ष 1984) |
कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन | सन् 1885 मे बम्बई (अब मुंबई) में हुआ |
कांग्रेस का 56वां अधिवेशन | सन् 1947 को दिल्ली में |
कांग्रेस पार्टी के संस्थापक –
कॉंग्रेस के जनक ए. ओ. ह्यूम (पूरा नाम एलन ऑक्टोवियो हयूम) है, ये स्कॉटलैंड के निवासी थे।
स्थापना के समय, एलन ऑक्टोवियो हयूम ने कोलकाता के व्योमेश चंद्र बनर्जी को इस पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया था।
इसके अलावा कांग्रेस के संस्थापकों में A.O हयूम के साथ-साथ दादाभाई नैरोजी और दिनशा वाचा शामिल थे।
सन् 1912 में ए. ओ. ह्यूम का निधन हो जाने पर कांग्रेस ने उन्हें अपना जन्मदाता तथा संस्थापक घोषित किया।
पार्टी की स्थापना से अब तक के अध्यक्ष –
1. जे बी कृपलानी (1947) –
“जेबी” कृपलानी जिनको “आचार्य कृपलानी” के नाम से भी जाना जाता है, आजादी के बाद से कांग्रेस के पहले अध्यक्ष के रूप में जाना जाता है, हालांकि बाद में उन्होंने किसान मजदूर प्रजा पार्टी बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी छोड़ दिया, इन्होंने चार बार लोकसभा के लिए चुनाव में जीत हासिल की।
2. पट्टाभि सीतारमैया (1948-49) –
सन् 1948 में सीतारमैया ने कांग्रेस के अध्यक्ष चुनाव में जीत हासिल किया, इसके साथ ही उन्होंने 1952-57 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी कार्यभर संभाला।
सीतारमैया, आंध्र प्रदेश के लिए अलग राज्य बनाने की मांग करने वाले नेताओं में से एक थे।
3. पुरुषोत्तम दास टंडन (1950) –
पुरुषोत्तम दास टंडन ने कृपलानी के खिलाफ 1950 का कांग्रेस अध्यक्ष पद जीता, हालांकि बाद में उन्होंने जवाहर लाल नेहरू के साथ हुए मतभेदों के कारण शीर्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
4. जवाहरलाल नेहरू (1951-54) –
पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में, कांग्रेस ने एक के बाद एक राज्य विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव जीते।
सन् 1952 में भारत के पहले आम चुनाव में पार्टी ने 489 सीटों में से 364 सीटें जीतकर भारी बहुमत से सत्ता में आई।
5. यू एन धेबर (1955-59) –
1948-54 तक सौराष्ट्र के मुख्यमंत्री की सेवा करने वाले यू एन धेबर नेहरू के बाद कांग्रेस अध्यक्ष बने, इनका कार्यकाल केवल चार साल का था।
6. इंदिरा गांधी (1959, 1966-67, 1978-84) –
यू एन धेबर के बाद इंदिरा गांधी ने लगातार तीन बार कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला, इनका दूसरा कार्यकाल केवल एक वर्ष के लिए था।
सन् 1966 में वह के कामराज के समर्थन से मोरारजी देसाई को हराकर एक साल के लिए कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अध्यक्ष पद को संभाला।
आपातकाल के बाद 1977 के आम चुनाव हारने के बाद, उन्होंने पार्टी अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला और 1985 में अपनी मृत्यु तक इस पद पर आसीन रहीं।
7. नीलम संजीव रेड्डी (1960-63) –
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में इंदिरा का पहला कार्यकाल समाप्त होने के बाद, नीलम संजीव रेड्डी ने तीन कार्यकाल के लिए पार्टी की बागडोर संभाली।
बाद में सन् 1967 में उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी के नेता के रूप में राजनीति में लौट आए, सन् 1977 में वह भारत के छठे राष्ट्रपति भी बने।
8. के. कामराज (1964-67) –
के कामराज को… भारत की राजनीति में “किंगमेकर” के रूप में जाना जाता है, कामराज इंदिरा के कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में उदय का कारण थे।
बाद में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के साथ विभाजन के बाद, एक सिंडिकेट नेता के कामराज ने कांग्रेस (ओ) का गठन किया।
9. एस निजलिंगप्पा (1968-69) –
एस निजलिंगप्पा को अविभाजित कॉंग्रेस पार्टी के अंतिम अध्यक्ष के रूप में जाना जाता है।
पार्टी के टूटने के बाद वह सिंडिकेट नेताओं में शामिल हो गए, सन् 1952 में वह चित्रदुर्ग सीट से लोकसभा चुनाव में विजय हासिल की।
10. जगजीवन राम (1970-71) –
पार्टी में बिखराव के बाद जगजीवन राम इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
कुछ साल बाद उन्होंने जनता पार्टी में शामिल होने के लिए 1977 में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी।
बाद में सन् 1981 में उन्होंने अपनी पार्टी कांग्रेस (जे) बनाई, वह 1971 के भारत और पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारत के रक्षामंत्री थे।
11. शंकर दयाल शर्मा (1972-74) –
वर्ष 1992 से 1997 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने से पहले शंकरदयाल शर्मा 1972 में कलकत्ता (कोलकाता) में एआईसीसी सत्र के दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे।
12. देवकांत बरुआ (1975-77) –
“भारत इंदिरा है, इंदिरा भारत है” नारे के लिए आज भी याद किए जाने वाले देवकंट बरुआ आपातकाल के दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष पद को संभाला।
वह पार्टी की बागडोर संभालने वाले असम के पहले और एकमात्र नेता थे, उन्हें उनके द्वारा दिए गए नारे के लिए याद किया जाता है।
13. राजीव गांधी (1985-91) –
अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी पार्टी अध्यक्ष बने और 1991 में उनकी हत्या तक इस पद पर आसीन रहे।
उन्होंने 1984 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को ऐतिहासिक बहुमत दिलाया और भारत के छठे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।
हालांकि,इसके बाद कांग्रेस 1989 में हुए राष्ट्रीय चुनाव हार गई, इसी चुनाव के प्रचार के दौरान लिट्टे के एक आत्मघाती हमलावर ने उनकी हत्या कर दी थी।
14. पी. वी. नरसिम्हा राव (1992-96) –
पी. वी. नरसिम्हा राव गैर-हिंदी भाषी क्षेत्र के पहले प्रधानमंत्री भी थे, सन् 1991 में राजनीति से संन्यास की घोषणा करने के बाद, राव ने अगले साल राजीव की हत्या के बाद वापसी की।
इन्हीं के कार्यकाल के दौरान, देश ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विनाश को देखा, सालों से चले या रहे इस क्लेश के कारण इस घटना के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में दंगे हुए।
15. सीताराम केसरी (1996-98) –
सीताराम केसरी के अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ दी।
इसके बाद 1998 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी के द्वारा उन्हें हटा दिया गया।
16. सोनिया गांधी (1998-2017 और 2019-वर्तमान) –
सोनिया गांधी को 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के बाद सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष के रूप में जाना जाता है।
इन्हीं के कार्यकाल के दौरान पार्टी ने 2004 और 2009 के आम चुनाव में जीत हासिल की।
सन् 2014 में हुए आम चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पद तब से लेकर आज तक कांग्रेस सत्ता से बाहर है।
17. राहुल गांधी (2017-2019) –
सोनिया गांधी के कार्यकाल के बीच में 2 वर्षों के लिए पार्टी अध्यक्ष की कमान उनके सुपुत्र ‘राहुल गांधी’ ने अध्यक्ष पद को संभाला।
दिसंबर, 2017 को राहुल गांधी को सभी की सहमति से पार्टी अध्यक्ष चुना गया।
उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनावों में कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में पार्टी को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
हालांकि, बाद में 2019 लोकसभा चुनाव में हुए हार को स्वीकारने के बाद “नैतिक” जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
18. मल्लिकार्जुन खड़गे (अक्टूबर 2022 से वर्तमान)
24 सालों बाद ‘मल्लिकार्जुन खड़गे’ के रूप में, गांधी परिवार के बाहर का कोई नेता देश की सबसे पुरानी पार्टी का अध्यक्ष चुना गया।
17 अक्टूबर 2022 को हुई वोटिंग में मल्लिकार्जुन खड़गे को 7897, जबकि प्रतिद्वंदी शशि थरूर को 1,072 वोट मिले।
कांग्रेस के लगभग 137 साल के इतिहास में छठी बार ऐसा हुआ कि अध्यक्ष पद के लिए आंतरिक रूप से मतदान कराया गया।
इससे पहले वर्ष 1939, 1950, 1977, 1997 और 2000 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुए थे।
अगर थोड़ा इतिहास में जाएं तो कांग्रेस के 1939 के अध्यक्ष पद के चुनाव में महात्मा गांधी के उम्मीदवार पी. सीतारमैया, नेताजी सुभाष चंद्र बोस से हार गए थे।
आजादी के बाद 1950 में पहली बार कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ जिसमें पुरुषोत्तम दास टंडन तथा आचार्य कृपलानी के बीच मुकाबला था, इस चुनाव में पुरुषोत्तम दास टंडन चुनाव में विजय पाई।
कांग्रेस के अधिवेशन –
अधिवेशन से तात्पर्य है कि साल में एक बार पार्टी के सभी सदस्य एक स्थान पर मिलते और आगे के कार्यक्रम और विषयों पर चर्चा किया जाता था, कि किस तरह से किसी कार्य को एक साथ संगठित होकर एक दिशा में किया जाए।
28 दिसंबर सन् 1885 को कॉंग्रेस पार्टी का पहला अधिवेशन हुआ था जो की बम्बई (अब मुंबई) में व्योमेश चंद्र बनर्जी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था, तत्कालीन समय में कांग्रेस पार्टी में सामाजिक कार्यकर्त्ता, पत्रकार, वकील सभी तरह के पेशे के लोग शामिल थे।
वर्ष | स्थान | अध्यक्ष | |
1. | 1885 | मुंबई | व्योमेश चन्द्रबनर्जी |
2. | 1886 | कलकत्ता | दादाभाई नौरोजी |
3. | 1887 | मद्रास | सैयद बद्रूद्दीन तैयबजी (प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष) |
4. | 1888 | इलाहाबाद | जॉर्ज यूल (प्रथम अंग्रेज अध्यक्ष) |
5. | 1889 | मुंबई | सर विलियम वेदरबर्न |
6. | 1890 | कलकत्ता | फिरोजशाह मेहता |
7. | 1891 | नागपुर | आनन्दचार्लु |
8. | 1892 | इलाहाबाद | व्योमेश चंद्र बनर्जी |
9. | 1893 | लाहौर | दादाभाई नौरोजी |
10. | 1894 | मद्रास | ए.वेब |
11. | 1895 | पुणे | सुरेन्द्रनाथ बनर्जी |
12. | 1896 | कलकत्ता | एम.रहीमतुल्ला सयानी |
13. | 1897 | अमरावती | सी.शंकर नायर |
14. | 1898 | मद्रास | आनंद मोहन बोस |
15. | 1899 | लखनऊ | रोमेश चंद्र बोस |
16. | 1900 | लाहौर | एन.जी. चंदूनरकर |
17. | 1901 | कलकत्ता | ई.दिंशा वाचा |
18. | 1902 | अहमदाबाद | सुरेन्द्रनाथ बनर्जी |
19. | 1903 | मद्रास | लालमोहन बोस |
20. | 1904 | मुंबई | सर हेनरी कॉटन |
21. | 1905 | बनारस | गोपाल कृष्ण गोखले |
22. | 1906 | कलकत्ता | दादाभाई नौरोजी (‘स्वराज्य’ शब्द का पहली बार प्रयोग अध्यक्ष द्वारा किया गया, मुस्लिम लीग स्थापना) |
23. | 1907 | सूरत | रासबिहारी घोष (कांग्रेस का विभाजन एवं सत्र की समाप्ति।) |
24. | 1908 | मद्रास | रासबिाहरी घोष (कांग्रेस के लिये एक संविधान।) |
25. | 1909 | लाहौर | मदनमोहन मालवीय |
26. | 1910 | इलाहाबाद | सर विलियम वेदरबर्न |
27. | 1911 | कलकत्ता | बिसन नारायण धर |
28. | 1912 | पटना | आर.एन. मुधालकर |
29. | 1913 | कराची | सैयद मुहम्मद बहादुर |
30. | 1914 | मद्रास | भूपेन्द्रनाथ बोस |
31. | 1915 | मुंबई | सर एस.पी. सिन्हा |
32. | 1916 | लखनऊ | ए.जी. मजुमदार (कांग्रेस का मुस्लिम लीग के साथ मिलना कांग्रेस में गरम दल का विलय।) |
33. | 1917 | कलकता | श्रीमती एनी बेसेंट (प्रथम महिला अध्यक्ष) |
34. | 1918 | मुंबई | सैयद हसन इमाम |
35. | 1918 | दिल्ली | मदनमोहन मालवीय (नरमदल वालों जैसे एस.एन.बनर्जी का त्यागपत्र) |
36. | 1919 | अमृतसर | मोतीलाल नेहरू |
37. | 1920 | नागपुर | सी. विजय राघवाचार्य (कांग्रेस के संविधान में परिवर्तन) |
38. | 1921 | अहमदाबाद | हकीम अजलम खान (कार्यकारी अध्यक्ष) अध्यक्ष सी.आर.दास जेल में कैद थे। |
39. | 1922 | गया | चित्तरंजन दास (स्वराज्य पार्टी का गठन) |
40. | 1923 | दिल्ली | अबुल कलाम आज़ाद (सबसे कम उम्र के अध्यक्ष) |
41. | 1923 | कोकोनाडा | मौलाना मुहम्मद अली |
42. | 1924 | बेलगांव | महात्मा गांधी |
43. | 1925 | कानपुर | सरोजिनी नायडू (प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष) |
44. | 1926 | गोहाटी | श्रीनिवास अयंगर |
45. | 1927 | मद्रास | एम.ए. अंसारी (जवाहर लाल नेहरू के आग्रह पर पहली बार स्वतंत्रता प्रस्ताव पारित हुआ।) |
46. | 1928 | कलकत्ता | मोतीलाल नेहरू (प्रथम अखिल भारतीय युवा कांग्रेस) |
47. | 1929 | लाहौर | जवाहरलाल नेहरू (पूर्ण स्वराज्य प्रस्ताव) |
48. | 1930 | अधिवेशन नहीं हुआ जवाहरलाल नेहरू अध्यक्ष बने रहे | |
49. | 1931 | कराची | वल्लभ भाई पटेल मूल (अधिकारों तथा राष्ट्रीय आर्थिक नीति प्रस्ताव) |
50. | 1932 | दिल्ली | आर.डी. अमृतलाल |
51. | 1933 | कलकत्ता | श्रीमती नलिनी सेनगुप्ता |
52. | 1934 | मुंबई | राजेन्द्र प्रसाद (कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन) |
53. | 1935 | अधिवेशन नहीं हुआ राजेन्द्र प्रसाद अध्यक्ष बने रहे | |
54. | 1936 | लखनऊ | जवाहरलाल नेहरू |
55. | 1937 | फैजपुर | जवाहरलाल नेहरू (पहली बार गांव में सत्र हुआ।) |
56. | 1938 | हरिपुरा | सुभाष चन्द्र बोस |
57. | 1939 | त्रिपुरी | सुभाष चंद्र बोस बोस का त्यागपत्र, राजेन्द्र प्रसाद का अध्यक्ष बनना तथा बोस द्वारा फॉरवर्ड ब्लाक की स्थापना |
58. | 1940 | रामगढ़ | अबुल कलाम आजाद |
59. | 1941-45 | अधिवेशन नहीं हुआ, अबुल कलाम आजाद अध्यक्ष बने रहे। | |
60. | 1946 | मेरठ | जीवटराम भगवानदास कृपलानी |
61. | 1947 | दिल्ली | राजेन्द्र प्रसाद |
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल –
कांग्रेस की स्थापना कब हुई थी?
कांग्रेस की स्थापना, 28 दिसंबर 1885 को हुई थी।
कांग्रेस का पुराना नाम क्या है?
कांग्रेस पार्टी का पुराना नाम भारतीय राष्ट्रीय संघ था जिसकी स्थापना वर्ष 1984 में हुई थी।
‘कांग्रेस का इतिहास’ नामक पुस्तक किसने लिखा?
बी. पट्टाभि सीतारमैया द्वारा लिखी गई इस पुस्तक में 1935 से 1947 तक के कालखण्ड के बारे में लिखा गया है।
‘कांग्रेस का जनक किसे कहा जाता है?
एलन ऑक्टेवियन ह्यूम को कांग्रेस का जनक कहा जाता है।
कांग्रेस पार्टी की प्रथम महिला अध्यक्ष कौन थी ?
श्रीमती एनी बेसेंट कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष थी।
कांग्रेस पार्टी की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष कौन थी?
श्रीमती सरोजिनी नायडू कांग्रेस की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष थी।
More Article –
OTT Kya Hai ᐈ यह कैसे काम करता है? ओटीटी की पूरी जानकारी
Fast Charging Kya Hai फास्ट चार्जिंग क्या है?
Ottoman Empire in Hindi ओटोमन एम्पायर क्या है? पूरी जानकारी
UPSC Kya Hai यूपीएससी पोस्ट,सैलरी,योग्यता की पूरी जानकारी
Summary –
तो दोस्तों कांग्रेस पार्टी का इतिहास के बारे में यह लेख आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं नीचे कमेन्ट बॉक्स के माध्यम से, यदि आपके पास इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो उसे भी लिखना न भूलें, धन्यवाद 🙂
डिस्क्लैमर –
यह आर्टिकल इंटरनेट पर मौजूद सूचनाओं के आधार पर लिखा गया है, इसे लिखते समय पूर्ण सावधानी रखी गई है, फिर भी किसी मानवीय भूल से इनकार नहीं किया जा सकता, किसी भी प्रकार की त्रुटि पाए जाने पर कृपया हमें कमेन्ट बॉक्स के माध्यम से जरूर बताएं हम यथाशीघ्र इसे ठीक करने की कोशिश करेंगे।
रोज कुछ नया सीखें, हमारे Instagram पेज से जुड़ें!