DXN Ganoderma Benefits in Hindi【गैनोडर्मा के फायदे】कीमत, PV

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जब भी हम कुछ खाते पीते है तो इससे न सिर्फ हमें ऊर्जा मिलती है, बल्कि हमारा भोजन हमारे शरीर के रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को भी ठीक रखता है, जिससे हम हर तरह के रोगों से सुरक्षित रहते है।

यदि हमारे भोजन में किसी जरूरी न्यूट्रिशन की कमी हो जाती है तो इससे शरीर का नैचुरल फंक्शन बिगड़ जाता है, जिससे कई सारी शारीरिक प्रॉब्लम देखने को मिलती है।

प्राकृतिक रूप से शरीर में आए किसी भी तरह के असंतुलन को ठीक करने का प्रकृति द्वारा दिया गया चमत्कारी वरदान है, “गैनोडर्मा”।

Hello Friends, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है गैनोडर्मा के बारे में, DXN गैनोडर्मा क्या है? इसके क्या फायदे है? तथा इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में उम्मीद करता हूँ आपको यह पसंद आएगा।

Ganoderma क्या है?-

DXN Ganoderma Benefits in Hindi
DXN Ganoderma Benefits in Hindi

गैनोडर्मा का प्रयोग लगभग पाँच हजार साल पहले से ही मानव सभ्यता में एक चमत्कारिक व रहस्मय मशरूम अथवा जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता रहा है।

चीन तथा जापान के दन्त कथाओं में यह सुनने को मिलता है कि लोग इसे अमर होने हेतु प्रयोग किया करते थे।

इसका सबसे पहला प्रमाण “शेन नोंग हर्बल क्लासिक” (Sheng Nong’s Herbal Classic 2838 B.C. China) नामक बुक में मिलता है।

चीन में इसका प्रयोग सदियों से होता आया है, इसका प्रमाण वहां की समृद्धि की देवी के हाथों में इसकी आकृति देखने को मिलती है।

इसके औषधीय गुणों के कारण ही इसे “औषधियों का राजा” कहा गया है, गैनोडर्मा को मानव इतिहास में सबसे अधिक शक्तिशाली और महानतम औषधि की मान्यता प्राप्त है।

इसका बॉटनीकल नाम “Ganoderma” है, “Gano” का अर्थ है ‘चमकता’ और “Derma” का अर्थ है “चमड़ी”।

अलग-अलग देशों में इसे अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है, जिसे आप नीचे दिए गए इस टेबल में देख सकते है।

वैज्ञानिक नामगैनोडर्मा ल्यूसिडम (Ganoderma Lucidam)
चीन लिंगजी (Lingzhi)
जापान रिशी (Reishi)
अमेरिकामन्ननटेक (Mannantake)
रूस चागा (Chaga)
भारत दिव्य मशरूम (Divya Mashroom)

आम भाषा में मशरूम, कुकुरमुत्ता, साँप की छतरी व खुम्बी आदि के नाम से भी इस पौधे को विश्व भर में जाना जाता है।

विश्वभर में गैनोडर्मा अपने चमत्कारिक परिणामों के कारण आश्चर्य का विषय बना हुआ है, कहा जाता है कि इसके सेवन करने से मानव निरोगी रह कर सामान्य आयु से अधिक स्वस्थ जीवन जीता है।

गैनोडर्मा का इतिहास –

सर्वप्रथम लिखित रूप से 3000 ई० पूर्व के चीनी ग्रन्थों में इसके औषधीय गुणों का भरपूर उल्लेख प्राप्त हुआ था। SENG NONG’S HERBAL CLASSIC जिसे चीन की गीता माना जाता है) में वर्णित 365 शाक्तिशाली औषधियों में इसे “ए-वन सुपीरियर हर्ब” के नाम से विश्व की श्रेष्ठतम जड़ी- बूटी के रूप में वर्णन किया गया है।

यहाँ से चरक संहिता में भी छत्रक चिकित्सा के रूप में इसका वर्णन किया गया है, चीन में प्रचलित समृद्धि की देवी के हाथ में भी गैनोडर्मा का फल दिखाया गया है।

हदीस शरीफ की किताबों में खुम्बी अर्थात् मशरूम के लिए ‘अलकमअतु’ का शब्द ज्यादा इस्तेमाल हुआ है।

अरब के लोग ‘नवातुर्रअद’ (आसमानी बिजली की सब्जी) का नाम भी देते आये है। रसूल-ए-खुदा हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इसकी तारीफ फरमाई है।

उन्होंने कहा-खुम्बी ‘मन’ में से है। इसका पानी आँखों के लिए शिफा है! (बुखारी जिल्द 2 जुज 23 पेज 850 अन्निसाई मसनद अहमद)

गैनोडर्मा की जरूरत क्यों है? –

आज के इस वैज्ञानिक युग में भी विज्ञान, मानव को पूर्ण रोग मुक्त नहीं कर पाया, साध्य हो या असाध्य, चारों ओर विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त, छोटे- बड़े व्यक्ति देखे जा सकते हैं।

इनके निदान के लिए लोग विभिन्न पैथियों की शरण लेते देखे गये हैं। वाह चाहे ऐलोपैथी हो या आयुर्वेद, होम्पोपैथी हो या कोई अन्य।

क्या मनुष्य मूल रूप से इन रोगों पर विजय पाने में समर्थ हो पाया है ? भविष्य में फिर न हो, क्या यह सम्भव कर पाया है? नहीं!

डायबिटीज हो या ब्लडप्रेशर, कैंसर हो या दमा आदि कितने ही रोग हैं, जिन्हें मूल रूप से समाप्त होते नहीं देखा गया, मात्र दवाओं के सहारे कन्ट्रोल करते हुए, जीवन व्यतीत करना मानव की नियति बन गयी है।

किन्तु जो मनुष्य नहीं कर सकता वह ईश्वर करता और ईश्वर ने सदा ही इस पृथ्वी पर कुछ न कुछ दिव्य वस्तुऐं, मानव कल्याण के लिए भेंट दी है।

रोग होने के मूल कारण –

हम सभी जानते हैं कि हमारा शरीर कोशिकाओं (cells) का बना है। जब बहुत सी कोशकाएं एकत्रित होती हैं तो ऊतक (Tissues) बनते हैं और बहुत से ऊतक (Tissues) से अंग (Organs) निर्मित होते हैं।

एवं बहुत से अवयव या अंग एकत्रित होने पर निर्मित होता है- तंत्र (System) और इसी तंत्र से शरीर की रचना पूर्ण होती है।

इस तरह कोशिका हमारे शरीर की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है, जब कोशिका में बाहर से हानिकारक पदार्थ (Toxin) जमा होते हैं या संक्रमण से कोश कमजोर पड़ने लगते हैं।

इन्हीं कोशिकाओं के कमजोर होने या इनमें किसी भी प्रकार के असंतुलन होने से बनने वाला टॉक्सिन और मृत कोशकाओं को बाहर करने और नई कोशिकाओं के बनने का संतुलन बिगड़ जाता है, जो बीमारी के रूप में सामने आता है।

शरीर के अन्दर टॉक्सिन पहुँचने के माध्यम –

विभिन्न प्रकार के हानिकारक तत्व शरीर में हवा के द्वारा, पानी के द्वारा, खाने पीने की चीजों के द्वारा तथा वायरस के रूप में, जान-बूझकर लिये गये विभिन्न टॉक्सिन जैसे शराब, धूम्रपान, गुटखा, तम्बाकू आदि के रूप में प्रवेश करते हैं।

अब हम भली भांति देख सकते हैं कि जिस प्रदूषित हवा हैं, क्या हम अपने को बचा पायेंगे ? जो पानी हम पीते हैं क्या वह पीने योग्य है ? क्या पानी के बगैर जीवित रह सकते हैं, क्या जो भी हम खाते हैं वह शुद्ध हम जीते व सुरक्षित हैं?

अन्य रोगियों से संक्रमण से मिलने वाले व विभिन्न साधनों से शरीर में प्रवेश करने वाले वायरसों से हम सुरक्षित हैं? क्या हम औषधि व रसायनों के दुष्परिणाम एवं संक्रमण से सुरक्षित हैं, इन सबका जवाब है नहीं !

तो यह भी सुनिश्चित है कि कभी न कभी हम किसी भी साध्य-असाध्य बीमारी की चपेट में आने से अपने आप को नही बचा सकेंगे।

पहला सुख निरोगी काया को ही माना गया है, रोगी जीवन से बड़ा दुःखी दुनिया में कोई नहीं है, पास में कितनी ही धन सम्पत्ति हो, दुनिया बेरंग ही होती है।

क्या संसार में ऐसा कुछ भी नहीं जो शरीर में इतनी रोग प्रतिरोधक शक्ति पैदा कर सके कि किसी भी संक्रमण, वायरस, टॉक्सिन्स और दवाइयों के दुष्परिणाम का प्रभाव हमारे ऊपर न पड़े? हमारी बीमारियों के कारणों को बाहर निकाल सकें?

जी हाँ है ! कुदरत ने मानव जाति के लिए अनमोल भेंट प्रदान की है, जिसका नाम है- “गैनोडर्मा ल्यूसिडम”।

साधारण गैनोडर्मा और DXN गैनोडर्मा में अन्तर –

DXN गैनोडर्मा, मशरूम जाती की जड़ी-बूटी है मशरूम की लगभग 38,000 प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिसमें से केवल 2000 प्रजातियाँ ही हमारे खाने योग्य होती हैं।

इनमें से 200 प्रजातियों में ही औषधीय तत्वों के साथ-साथ शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं।

शेष 36,000 प्रजातियाँ जहरीली होती हैं जिनका महत्व प्रकृति में वातावरण/पर्यावरण के सन्तुलन बनाये रखने में हैं।

शोधकर्ताओं ने मशरूम की 200 प्रजातियों में सिर्फ 6 प्रकार के लाल मशरूम में मानव शरीर के विभिन्न रोगों के उपचार करने की अद्वितीय शक्ति पाई है जिनके नाम निम्नानुसार हैं-

1. Peacock Gano (पीकाक गैनो)
2. Kimshen Gano (कीमशेन गैनो)
3. Brain Gano (ब्रेन गैनो)
4. Heart Gano (हार्ट गैनो)
5. Liver Gano (लिवर गैनो)
6. Ruyi Gano (रूई गैनो)

DXN के अलावा अन्य जगहों पर सामान्यतः इन अलग-अलग किस्मों के रूप में गैनोडर्मा का प्रयोग किया जाता है।

लेकिन DXN गैनोडर्मा को, DXN के संस्थापक चीफ डा० लिम सियो जिन के द्वारा सालों साल अनुसंधान उपरान्त इन सभी उपरोक्त 6 विशिष्ट किस्मों के लाल गेनोडर्मा को जिनेटिक इन्जीनियरिंग द्वारा संकरण कर विश्व को एक श्रेष्ठ और सबसे शक्तिशाली 6 किस्मों के समस्त गुणों को समाहित करने वाला DXN गेनोडर्मा प्रदान किया है।

यह क्रिया व फार्मूला ट्रेड सीक्रेट है जो दूसरे इसका अनुसरण नहीं कर सकते, इसीलिए अन्य ग्रैनोडर्मा के मुकाबले DXN गैनोडर्मा इतनी चमत्कारी व अद्भुत शक्तिशाली तथा प्रभावशाली सिद्ध हो रही है, इसके पीछे यही एक मात्र रहस्य है, DXN गैनोडर्मा के पीछे मौजूद 6 इन 1 की शक्ति।

DXN गैनोडर्मा का मानव शरीर पर प्रभाव –

DXN गैनोडर्मा में मौजूद प्रमुख प्राकृतिक तत्व और उसका मानव शरीर पर प्रभाव एवं गैनोडर्मा की कार्य प्रणाली।

गैनोडर्मा ल्यूसिडम (King of Herbs) जड़ी बूटियों के राजा के नाम से जानी जाती है। यह जीवन अमृत के रूप में मानी जाने वाली महाऔषधि है।

इसके आरोग्यकर एवं पौष्टिकता प्रदान करने वाले गुणों के कारण ही प्राचीनकाल से ही यह बहुत से देशों में विशेषकर एशिया में आज तक प्रयोग हो रही है।

गैनोडर्मा में पाये जाने वाले 300 से अधिक क्रियाशील तत्व (Active Element) की खोज हो चुकी है, उनमें से मुख्य तत्व इस प्रकार है –

पॉलीसैक्राईड्स –

पॉलीसैक्राईड्स (Polysaccharide) हमारे शरीर में शोधक (Cleanser) यानि आवंक्षनीय तत्वों को निकालने का काम करते है।

पॉलीसैक्राईड्स स्वास्थ्यवर्धक गुण युक्त होते है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व उसमें सामजस्य बढ़ाने का कार्य करते हैं। अनेक रोगों को उत्पन्न होने से रोकने व उपचार करने का कार्य करते हैं-

  • ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है, तथा शरीर के सेल्स को विकृत होने से बचाव करते है।
  • हानिकारक सेल्स की वृद्धि रोकते है।
  • आतंरिक अंगों (मस्तिष्क, अस्थि आदि) को विकृत होने से बचाव करता है।
  • शरीर की सफाई, विषैले तत्वों के निष्कासन में मदद करता है।
  • लाल रक्त कणों की ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता बढ़ाते है।

ऑरगेनिक जर्मेनियम –

ऑरगेनिक जर्मेनियम (Organic Germanium) हमारे शरीर में सन्तुलक (The Balance) का कार्य करता है।

रेशी में अन्य औषधीय पौधों की अपेक्षा कई गुना अधिक ऑरगेनिक जर्मेनियम होता है।

जर्मेनियम (Trace Element) है अर्थात् ऐसा तत्व जो शरीर में स्थित कमियों को चिन्हित कर उसे सन्तुलित करे।

GL कैप्सूल में इसकी मात्रा RG से तीन गुना अधिक होती है, रिसर्च के अनुसार –

  • यह शरीर के विद्युत चार्ज को संतुलित करता है।
  • यह मस्तिष्क, नाड़ी तंत्र व विद्युत आवेश को संतुलित करता है।
  • हृदय, दिमाग व किडनी के कार्यों एवं तंत्र को मजबूत बनाता है। कोशिकाओं की ऑक्सीजन ग्रहण क्षमता को बढ़ाते हुए कोशिकाओं के विघटन रोकने में सहायता करता है।
  • ट्यूमर व कैंसर के फैलने की रोकथाम करने में इसकी अद्धितीय विशेषता का चिकित्सा के क्षेत्र में मान्यता प्राप्त हुई है।

एडीनोसिन –

एडीनोसिन (Adenosine) हमारे शरीर में नियामक (The Regulator) के रूप में कार्य करता है।

रेशी में एडीनोसीन होता है जो कि एड्रीनल ग्रंथि के बाह्य भाग के कार्य को नियमित कर नलिकाविहीन ग्रंथियों में संतुलन endocrine balance को बनाये रखता है।

ये Neuro Transmitter तंत्रकाओं के कार्य को सुचारू कर तंत्रिका का विघटन आदि रोगों में कार्य करता है, रिसर्च के अनुसार, एडीनोसिन –

  • रक्त में कोलेस्ट्राल व वसा Free Fat के स्तर को घटाता है।
  • रक्त में Blood lipid का स्तर संतुलित करता है व लाल रक्त कणिकाओं की झिल्ली को मजबूती देता है।
  • रक्त के pH balance को संतुलित करता है।
  • खून में कणिकाओं के जुड़ने के स्तर को घटाकर थक्का जमने से बचाव करता है।
  • चयापचयन की क्रिया को नियमित करता है।

ट्राइटरपिनोइड्स –

ट्राइटरपिनोइड्स (Triterpenoids) स्थापक (The Builder) की तरह काम करता है।

रेशी में 100 से भी अधिक ट्राइटरपिन्स पहचाने जा चुके है। यह ट्राइटरपिन्स जटिल आणविक संरचना के साथ पाचन तंत्र के कार्यों को पूर्ण कराते है, ट्राइटरपिनोइड्स का काम हमारे शरीर में कुछ इस प्रकार है –

  • एलर्जी को रोकता है।
  • पाचन तंत्र को शक्ति देता है।
  • कोलेस्ट्राल घटाता है।

गैनोडेरिक अर्क –

गैनोडेरिक अर्क (Ganoderic Essence), शरीर में कोशिकाओं के पुनर्जीवन (पुनःसर्जक Regenerator/ Revitalizer) के रूप में काम करता है, यह हमारे शरीर में –

  • त्वचा के रोगों की रोकथाम में सहायता करता है।
  • त्वचा को सुन्दर बनाता है।
  • शरीर की मांसपेशियों को नवजीवन देता है।

इन सबके अलावा DXN गैनोडर्मा में अन्य कई पोषक तत्व जैसे- प्रोटीन, फाइबर, विटामिन्स, मिनरल्स, एमिनो एसिड आदि पाये जाते है।

DXN Ganoderma Benefits in Hindi –

1. DXN गैनोडर्मा का सेवन रोजाना करने से लम्बी आयु व उत्तम तन्दुरूस्ती मिलती है।

2. यह शरीर के समस्त कोषों को तन्दुरूस्त कर नवजीवन प्रदान करती है।

3. शारीरिक, मानसिक, आध्यामित्क एवं सामाजिक तन्दुरूस्ती प्रदान करती है, शरीर को सम्पूर्ण सुरक्षा प्रदान करती है।

4. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर सभी रोगों के उपचार में सहायता करती है।

5. जीवन के प्रथम दिन से अन्त समय तक ली जा सकती है, प्रत्येक उम्र के लोग सेवन कर सकते है।

6. यह किसी भी प्रकार के विजातीय द्रव्य (Non Toxic) व कोई भी कुप्रभाव (Side Efect) न करने वाली जड़ी-बूटी है।

7. इसका असर शरीर के किसी एक अंग या ऊतक तक ही सीमित नहीं है, बल्कि शरीर में सम्पूर्ण कोशिकाओं तक पहुँचकर सम्पूर्ण शरीर को सन्तुलन प्रदान करती है।

इसके इन्हीं फ़ायदों के कारण जापान में इसे सरकार द्वारा कैन्सर की प्राथमिक औषधि घोषित किया गया है।

8. यह कोई दवा (DRUG) नहीं है, अपितु इसकी गिनती हाई थैरेपैठिक वैल्यू रखने वाली पूरक पोषाहार में की गयी है। किसी भी चिकित्सा पद्धति के विरूद्ध नहीं है। अर्थात् किसी भी.

9. किसी भी चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ इसका सेवन भी किया जा सकता है और इसके लाभ स्वतः ही सभी दवा छुड़ा देने में समर्थ है, यह किसी भी चिकित्सा पद्धित की दवा को मदद करता है।

10. पिछले अनेक वर्षों में मेडिसिन एवं वैज्ञानिक अनुसांधन रिपोर्ट्स के अनुसार यह सिद्ध किया जा चुका है कि इसे लेने से किसी को भी कोई नुकसान नहीं होता, अपितु लाभ ही होते है।

11. वृद्ध लोगों को ज्यादा सक्रिय व ऊर्जावान रहने में मदद करता है, बच्चों की चंचलता में वृद्धि करता है, भविष्य में किसी रोग को पनपने नहीं देता है।

12. DXN गैनोडर्मा, अन्य चिकित्सा पद्यति के दुष्प्रभावों को कम करने की ताकत रखता है।

DXN गैनोडर्मा अपना कार्य किस प्रकार करती है ?

स्कैनिंग (Scanning) (1-30 दिन) –

गैनोडर्मा शरीर में जाने के बाद सबसे पहला कार्य स्कैनिंग का करती हैं, है। अर्थात् कोशों में पहुँचकर यह तलाश करना कि वहाँ किस रोग के जीवाणु है, कौन सी कोशिका कमजोर है, उनमें क्या दूषित पदार्थ पड़े है? शरीर के अनुसार यह कार्य 2 दिन में भी हो सकता है और 30 दिन में भी।

क्लीनिंग (Detozification) (1-30 हफ्ते) –

स्कैनिंग का कार्य पूर्ण होने के बाद, कोशिकाओं से जीवाणु व दूषित पदार्थ को बाहर निकालने का कार्य प्रारम्भ होता है।

ये सभी जीव विष हमारे शरीर के विभिन्न उत्सर्जक अंगों से बाहर निकलते हैं

जैसे जल में घुलनशील जीव विषों का निष्कासन पसीने या मूत्र के द्वारा होता है। इसी प्रकार जल में अघुनशील जीवविषों का निष्कासन मल, मूत्र और पसीने से होता है।

बैलेन्स (Regulating) (1-12 महीने) –

क्लीनिंग के बाद तंत्र व अवयवों को संतुलित करने का कार्य प्रारम्भ होता है।

यह वो चरण है जिसमें हम रोग मुक्त होते है और स्वस्थ्य जीवन की ओर जाते है।

बिल्डिंग (Building) (6-24 महीने) –

टूटी फूटी हुई कोशिकाओं को पुनः ठीक करने का कार्य इस क्रम में आता है, इसमें शरीर के अंगों की हीलिंग, दुर्घटना आदि में नष्ट हुए कोषों की मरम्मत का कार्य इत्यादि होता है।

रीजनरेशन (Regeneration) (पुनर्जीवन) (1-3 वर्ष) –

शरीर में DXN गैनोडर्मा का अन्तिम कार्य नये कोशों के पुनर्जीवन का होता है जो वृद्धत्व को पीछे ले जाकर, नवयौवन प्रदान करता है।

इस कार्य को पूर्ण होने में अधिक से अधिक 1 से 3 वर्ष तक समय लग सकता है, सब जानते है “कि –

कोशिकायें स्वस्थ -तो- शरीर स्वस्थ,
कोशिकायें बीमार -तो शरीर बीमार,
कोशिकाओं की मृत्यु -तो- शरीर की मृत्यु

जब ये सारे स्टेप पूरे हो जाते है तो आपके अंदर पहले और बाद में फर्क महसूस होते है।

DXN गैनोडर्मा की सबसे बड़ी खासियत है कि यदि इसको सही तरीके से अन्य प्रोडक्टस के साथ नियमित रूप से प्रयोग में लाया जाए तो आप अपनी उम्र से जवान दिखते है।

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Summary –

दोस्तों गैनोडर्मा के बारे में यह जानकारी आपको कैसी लगी हमें जरूर बताएं साथ ही यदि आपके पास इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो उसे भी लिखना न भूलें, धन्यवाद 🙂

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