Fast Charging Kya Hai? | फास्ट चार्जिंग क्या है? | Fast Charging in Hindi | Fast Charging Ke Fayde | फास्ट चार्जिंग के फायदे
आज के समय में फोन के साथ इतने बड़े-बड़े चार्जर देखने को मिल रहे है कि यह फोन को कुछ ही मिनटों में चार्ज कर दे रहे है और इस टेक्नॉलजी को फास्ट चार्जिंग के नाम से जाना जाता है।
पहले की तरह अब हमें घंटों स्मार्टफोन के चार्ज में लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है, बड़ी बैटरी के साथ भी आज के समय में फोन जल्दी चार्ज हो जाते है, लेकिन क्या आपने ये सोचा है कि ये टेक्नॉलजी काम कैसे करती है, समय के साथ और ज्यादा बड़ी बैटरी होने के बावजूद हम अपने फोन को कैसे पहले की तुलना में अधिक तेजी के साथ कम समय में कैसे चार्ज कर पाते हैं?
Hello Friends, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है, फास्ट चार्जिंग के बारे में… फास्ट चार्जिंग क्या है? (Fast Charging Kya Hai?), फास्ट चार्जिंग कैसे काम करती है? इसके क्या फायदे और नुकसान है, जानेंगे इन सारी चीजों के बारे में उम्मीद करता हूँ आपको यह पसंद आएगा।

फास्ट चार्जिंग क्या है? (Fast Charging Kya Hai?) –
आज के समय में स्मार्टफोन में एक से बढ़कर एक टेक्नॉलजी आ रही है, कंपनियां एक दूसरे से आगे निकलने की दौड़ में तरह की कई तरह की टेक्नॉलजी लेकर आ रही है।
स्मार्टफोन खरीदते समय आपने, स्मार्टफोन की मिलने वाली बैटरी पावर को ध्यान में जरूर रखा होगा, क्योंकि फोन को ऑन रखने की पूरी जिम्मेदारी बैटरी के साथ होती है।
छोटी बैटरी उतने कम समय में चार्ज होगी और जितना इसकी कैपिसिटी बढ़ाते जाते है उतना ही चार्जिंग टाइम बढ़ता जाता है।
अब हमने पहले भी देख है कि पहले के फीचर फोन में बहुत ही छोटी बैटरी लगी होती थी जो कि चार्ज होने में लगभग 1.5 घंटे से 2 घंटे तक लेती थी।
अब स्मार्टफोन में तो फीचर फोन से तीन गुना ज्यादा बड़ी बैटरी लगती है, इसलिए इसका चार्जिंग टाइम तो ज्यादा लगना स्वभाविक है, इसी टाइम को कम करने के लिए फास्ट चार्जिंग टेक्नॉलजी को काम में लिया जाता है।
जिसकी मदद से आज के समय में एक बड़ी बैटरी वाले स्मार्टफोन को 20 मिनट से कम समय में भी चार्ज किया जा सकता है।
इसकी जरूरत क्यों पड़ी? –
अगर थोड़ा इतिहास की बात करें तो कुछ साल पहले तक जब हमारे फोन काफी छोटे हुआ करते थे और उनके साथ मिलने वाले फीचर भी लिमिटेड यानी कुछ गिने-चुने जैसे कालिंग, कैलेंडर, वाच, गेम, टॉर्च जैसे साधारण फीचर मिलते थे।
क्योंकि इसके लिए ज्यादा बैटरी क्षमता की जरूरत नहीं थी इसलिए उनमें मिलने वाली बैटरी की क्षमता भी कम हुआ करती थी, फिर भी आराम से दो से तीन दिन तक की बैटरी बैकअप दे सकती थी।
नोकिया का Nokia 3310 तो ऐसा फोन था जिसकी बैटरी हफ्ते भर चल जाती थी लेकिन इस तरह के फोन्स की चार्जिंग की बात करें तो इसमें 3.7 से 5 वोल्ट तक का इनपुट करंट दिया जाता था और इसको फुल चार्ज करने में 1.5 से 2 घंटे लग जाते थे।
धीरे-धीरे समय के साथ टेक्नॉलजी और इंप्रूव होती गई जिसमें फोन में और फीचर्स जैसे इंटरनेट एक्सेस करना, मल्टीमीडिया, ब्लूटूथ, वाईफाई, गेम्स और बड़ी स्क्रीन जैसे फीचर्स आने लगे।
अब हमें अपने फोन में और बड़ी बैटरी की जरूरत पड़ने लगी और क्योंकि पहले ही बैटरी को चार्ज करने में ज्यादा समय लगता था और इसलिए अब अधिक क्षमता वाली बैटरी लगाने पर और अधिक समय लगना स्वाभाविक था।
इस टाइम को कम करने के लिए Qualcomm ने अपनी नई टेक्नोलॉजी Quick Charge 1.0 को लॉन्च किया, जो कि स्मार्टफोन की बड़ी बैटरी को पहले की तुलना में काफी फास्ट चार्ज करने में सक्षम थी।
फास्ट चार्जिंग कैसे काम करती है? –
हमारे चार्जर से मिलने वाले आउटपुट में दो वेरिएशन निर्भर करते है, जिसमें पहला है वोल्ट (Volt) और दूसरा एम्पियर (Ampere) होता है।
चार्जर के आउटपुट में मिलने वाले इन्ही दोनों वेरिएशन को गुणा करने पर जो रिजल्ट मिलता है, वो हमारे चार्जर का पावर होता है, जो कि वाट (Watt) में गिना जाता है।
Volt × Ampere = Watt
फास्ट चार्जिंग चार्जर के वाट पर निर्भर करती है, किसी भी चार्जर का आउट्पुट वाटेज जितना ज्यादा होगा, चार्जर उतना ही पावरफुल करेंट देगा।
इस करेंट को मैनेज करने के लिए स्मार्टफोन के अंदर पावर मैनेजमेंट सर्किट बोर्ड लगा होता है, जो यह यह बताता है कि बैटरी कितना करेंट ले सकती है।
अगर किसी स्मार्टफोन में फास्ट चार्जिंग का सपोर्ट नहीं दिया गया है, तो यह अधिकतम 10 (5 Volt × 2 Ampere = 10 Watt) वाट के करेंट को ही सपोर्ट कर सकता है।
अगर बेसिक चार्जर की बात करें तो यह 5 Volt, 1Ampere का होत है, जो कि 5 Watt का आउटपुट देता है।
5 Volt × 1 Ampere = 5 Watt
चार्जिंग को फास्ट करने के लिए, चार्जर में मिलने वाली इन्हीं दोनों वेरिएशंस (वोल्टेज और एम्पियर) को बढ़ाकर चार्जिंग में लगने वाले समय को कम किया जाता है।
जैसे-जैसे हम चार्जर के आउटपुट वोल्टेज को बढ़ाते हैं, तो हमें आउटपुट में मिलने वाला करंट भी पहले से कहीं ज्यादा पावरफुल मिलता है।
इस चार्जिंग के लेवल को मैनेज करने के लिए सर्किट में एक ‘Charge Controller IC’ लगा होता है, जो करंट को मेंटेन रखता है, जिसकी मदद से यह पूरी प्रक्रिया तेज़ी से हो पाती है
बैटरी रेजी से चार्ज होने के बाद यह उतनी ही तेजी के साथ डिस्चार्ज न् हो जाए इसके लिए बैटरी के साथ लगे ‘Charge Controller IC’ की मदद से बैटरी के डिस्चार्ज प्रोसेस को मेंटेन रखा जाता है, इस कारण हम फ़ास्ट चार्ज की हुई बैटरी को लंबे समय तक इस्तेमाल कर सकते है।
क्वालकॉम की तरफ से पहली आने वाला यह फीचर जिसे Quick Charge 1.0 के नाम से जाना जाता है, यह 5 वोल्ट और 2 एम्पियर पर काम करता है जिसका 10 वाट आउटपुट मिलता है।

ऊपर दी गई इमेज में यह शाओमी की तरफ से आने वाला 33 वाट का फास्ट चार्जर है, जो कि 100 – 120v के करंट पर
5v-3A = 15w / 9v-2A = 18w / 12v-1.5A = 18w और 200 – 240v के करंट पर, 5v-3A = 15w / 9v-3A = 27w / 12v-2.25A = 27w / 20v-1.35A = 33w / 11v-3A = 33w की शक्ति का आउटपुट देता है।
इस चार्जर का अधिकतम पॉवर 33 वाट है जो कि 20v-1.35A = 33w और 11v-3A = 33w के रूप में मिलता है, आपका फोन इसमें से जिस पैरामीटर को सपोर्ट करता है, फोन उस वाट से चार्ज होगा।
जैसे – यदि फोन 18 वाट की चार्जिंग को सपोर्ट करता है तो, 9 वोल्ट × 2 एम्पियर या फिर 12 वोल्ट × 1.5 एम्पियर के करेंट पर चार्ज होगा, ठीक इसी तरह बाकी के वाटेज पर भी इसी तरह सिस्टम लागू होता है।
यदि फोन में फास्ट चार्जिंग का सपोर्ट नहीं दिया गया है तो इसमें से कम वाट की शक्ति फोन को मिलेगी जिससे फोन धीमे चार्ज होता है।
फास्ट चार्जिंग और स्मार्टफोन ब्रांड्स –
आज के समय में स्मार्टफोन बनाने वाली सभी कंपनियां, क्वालकॉम के इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग करती हैं।
क्योंकि सबने इसको अपने डिवाइस और फीचर्स के अनुसार डेवलप किया है इसलिए इसको अपने द्वारा दिए गए नामों से बुलाती हैं, ताकि कस्टमर उनको अलग नजरिये से देखे।
नीचे ये कुछ ऐसे ही नाम है जिनसे आज के समय में हम अलग-अलग स्मार्टफोन ब्रांड के फास्ट चार्जिंग को पहचानते है, इस लिस्ट में स्मार्टफोन ब्रांड के फास्टचार्जिंग टेक्नॉलजी तथा इस फीचर को सपोर्ट करने वाले लेटेस्ट मॉडल के बारे में भी जानकारी दी गई है –
Brand | Technology | Model | Support |
Xiaomi | Hyper Charge | Xiaomi 11T Pro | 120W |
Poco | Fast Charge | Poco F3 GT | 67W |
Samsung | Adaptive Charging | Galaxy s22 Ultra | 45W |
OnePlus | Warp Charge | OnePlus Nord 2 | 65W |
Oppo | Vooc charge | Oppo Reno 6 Pro | 65W |
Realme | Fast Charge | GT Neo 2 | 65W |
Huawei | Supercharge | Huawei Mate XS | 55W |
Motorola | TurboPower | Motorola Edge 20 | 30W |
Apple | Fast Charge | iPhone 13 | 20W PD |
Asus | Fast Charge | ROG Phone 5 | 65W |
iQOO | Fast Charge | iQOO 9 Pro | 120W |
Qualcomm | Quick Charge 5.0 |
ऊपर टेबल के माध्यम से समझ सकते है कि आज के समय में हर ब्रांड इस टेक्नॉलजी को अपने-अपने स्मार्टफोन में दे रहे है और इतना ही नहीं समय के साथ इसको इम्प्रूव भी किया जा रहा है।
रियलमी पहले से अपने स्मार्टफोन लाइनअप में 150 वाट की फास्ट चार्जिंग दे रहा है, कुछ समय पहले शाओमी ने 200 वाट की फास्ट चार्जिंग को लोगों के सामने दिखाया, जिसकी मदद से फोन को 10% केवल 44 सेकंड में, इसके बाद 50% तक 3 मिनट में और 8 मिनट में 100% तक चार्ज किया जा सकता है।
अगर यह टेक्नॉलजी बाद में पब्लिक के लिए उपलब्ध होती है तो यह एक बहुत बड़ी बात है, कि 10 मिनट से भी कम समय में फोन को फुल चार्ज किया जा सकता है।
Fast Charging के नुकसान –
इसमें कोई शक नहीं है कि क्विक चार्जिंग फोन को समय के साथ इफ़ेक्ट जरूर करता है, इसके फायदे तो हमने देख लिया लेकिन इसके कुछ नुकसान भी है –
1. इस टेक्नॉलजी की मदद से फोन को बहुत कम समय में चार्ज किया जा सकता है, लेकिन इस फीचर के लिए बैटरी की लाइफ साइकिल पर असर पड़ता है।
2. जब भी हम फोन को फास्ट चार्जिंग से चार्ज करते है, तो यह संभव है कि वह गर्म हो जाए, आमतौर पर ऐसा देखने को मिलता है, यदि आप पहले से ही किसी गर्म वातावरण में है तो उस समय यह बैटरी के हेल्थ पर नेगेटिव एफ़ेक्ट डालता है।
3. इस टेक्नॉलजी के शुरुआती समय में यूजर्स ने यह शिकायत कि थी कि जब नॉर्मल चार्जर से फोन को चार्ज करते है तो यह ज्यादा देर तक चलती थी लेकिन फास्ट चार्जर से चार्ज करने के बाद जल्दी ही बैटरी अपनी पावर खो देती थी, लेकिन समय के साथ इसे सही कर लिया गया, लेकिन यदि आपका फोन पुराना है तो हो सकता है कि यह समस्या देखने को मिले।
4. नॉर्मल चार्जिंग की अपेक्षा फास्ट चार्जिंग में बैटरी को ज्यादा प्रेशर को झेलना पड़ता है जिससे कि इसके हेल्थ पर असर पड़ता है।
क्या फास्ट चार्जर से सभी स्मार्टफोन को चार्ज किया जा सकता है?
नहीं, फास्ट चार्जिंग का लाभ लेने के लिए चार्जर के साथ फोन में भी इस फीचर का सपोर्ट होना चाहिए।
दुनिया का सबसे फास्ट चार्जर कौन सा है?
कुछ समय पहले Xiaomi ने अपने 200 वाट की चार्जिंग को इन्ट्रोड्यूस किया जो कि फोन को केवल 8 मिनट में चार्ज कर देता है।
फोन को धीरे-धीरे चार्ज करने का क्या कारण हो सकता है?
यदि फोन में फास्ट चार्जिंग का सपोर्ट नहीं है तो वह बहुत धीमे चार्ज होता है और समय के साथ लगभग सभी स्मार्टफोन की चार्ज होने की स्पीड कम होती जाती है।
क्या रात में फोन को चार्ज में लगाकर छोड़ सकते है?
जी हां, आज के समय में स्मार्टफोन में बैटरी को ओवर चार्जिंग से बचाने के लिए प्रोटेक्शन दिया जाता है, जिससे आपका फोन सुरक्षित रहता है।
फोन के बैटरी की लाइफ साइकिल कितनी होती है?
अगर आईफोन की बात करें तो इसकी बैटरी को 500 बार फुल चार्ज करते है तो इसकी क्षमता घटकर 80% रह जाती है।
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Summary –
हमने देखा कि कैसे कोई टेक्नॉलजी हमारी कितनी हेल्प कर सकती है, पहले जहां हम अपने फोन को घंटों तक चार्जर में लगा कर रखते थे अब यह कुछ ही मिनटों में होने लगा है।
फास्ट चार्जिंग के फायदे है तो वहीं पर इसके नुकसान भी है, लेकिन यदि हम इसको सही तरीके से सही उद्देश्य के साथ प्रयोग करें तो इससे हमें फायदा ही होगा।
तो दोस्तों फास्ट चार्जिंग क्या है? (Fast Charging Kya Hai) के बारे में यह जानकारी आपको कैसी लगी हमें जरूर बताएं नीचे कमेन्ट बॉक्स में, इस विषय से जुड़ा आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो उसे भी नीचे कमेन्ट में लिखना न भूलें।
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