Indhan Kise Kahate Hain【ईंधन किसे कहते है】सभी प्रकार के ईंधन

Indhan Kise Kahate Hain | ईंधन किसे कहते हैं | प्राथमिक ईंधन किसे कहते हैं | द्वितीयक ईंधन किसे कहते हैं | भविष्य का ईंधन किसे कहते हैं | जैव ईंधन किसे कहते हैं

जब भी हमें इंजन वाले किसी वाहन को चलाना होता है, गैस पर खाना बनाना होता है, या मशीन से जुड़ा ऐसा कोई भी काम जिसमें हमें एनर्जी लेने के लिए कुछ ऐसे तत्व की जरूरत पड़ती है, जिसे ईंधन या फ्यूल (Fuel) कहते है।

Hello Friends, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है, ईंधन के बारे में… ईंधन क्या होते है, ये कितने प्रकार के होते है, तथा इनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ भी मिलेंगी, उम्मीद करता हूँ आपको यह लेख पसंद आएगा।

ईंधन किसे कहते हैं? Indhan Kise Kahate Hain –

Indhan Kise Kahate Hain
Indhan Kise Kahate Hain | द्वितीयक ईंधन किसे कहते हैं

जब भी हम कुछ भी खाना पकाते है, गाड़ी चलाते है, स्मार्टफोन का यूज करते है, तो एक चीज है जो इन सबके लिए जरूरी होती है और वह है “ईंधन”, इन सभी उपकरणों में यह अलग-अलग रूप में आवश्यक होता है।

ईधंन (Fuel) ऐसे पदार्थ हैं, जो आक्सीजन के साथ संयोग कर काफी ऊष्मा उत्पन्न करते हैं।

ईंधन वह आवश्यक चीज है जो पृथ्वी पर मौजूद हर चीज को गति देने या ऊर्जा देने के लिए महत्वपूर्ण घटक है।

‘ईंधन’ शब्द संस्कृत की इन्ध्‌ धातु से निकला है जिसका अर्थ होता है – ‘जलाना’।

हम अपने आसपास जो भी चीजें देखते है वह किसी न किसी रूप में ईंधन से ही चलती है।

जैसे – खाना पकाते समय गैस और मिट्टी के तेल तथा कोयला के रूप में, गाड़ी चलते समय डीजल और पेट्रोल के रूप में, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को चलते समय बिजली के रूप में।

साधारण ठोस ईंधनों में लकड़ी (काष्ठ), पीट, कोयला एवं लिग्नाइट प्रमुख हैं। पेट्रोलियम, मिट्टी का तेल तथा गैसोलीन द्रव ईधंन हैं। कोलगैस, भाप-अंगार-गैस, द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस और प्राकृतिक गैस आदि गैसीय ईंधनों में प्रमुख हैं।

इसके अतिरिक्त परमाणु ऊर्जा भी शक्ति के स्रोत के रूप में उपयोग की जाती है, इसलिए विखंडनीय पदार्थों (Fissile Materials) को भी अब ईंधन माना जाता है।

कुछ और ईंधन के बारे में बात करें तो अंतरिक्ष विज्ञान और सैनिक कार्यों के लिए उपयोग में लाए जाने वाले राकेटों में, एल्कोहाल, अमोनिया एवं हाइड्रोजन जैसे अनेक रासायनिक यौगिक भी ईंधन के रूप में प्रयुक्त होते हैं, इन पदार्थों से ऊर्जा की प्राप्ति तीव्र गति से होती है।

विद्युत ऊर्जा का प्रयोग भी ऊष्मा की प्राप्ति के लिए किया जाता है इसलिए इसे भी कभी-कभी ईंधनों में सम्मिलित कर लिया जाता है।

ईंधन के प्रकार –

ईंधन को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है, जो कुछ इस प्रकार से है – पहला उत्पति के आधार पर और भौतिक अवस्था के आधार पर।

उत्पत्ति के आधार पर ईंधन को पुनः दो भागों में बांटा गया है जो कुछ इस प्रकार से है – 1. प्राकृतिक ईंधन या कच्चे ईंधन या प्राथमिक ईंधन और 2. निर्माणित ईंधन या शोधित ईंधन या द्वितीयक ईंधन।

इसी प्रकार भौतिक अवस्था के आधार पर ईंधन को तीन भागों में बांटा गया है जो कुछ इस प्रकार है – 1. ठोस ईंधन, 2. द्रव ईंधन और 3. गैसीय ईंधन।

Indhan Kise Kahate Hain
Indhan Kise Kahate Hain | प्राथमिक ईंधन किसे कहते हैं

Indhan Kise Kahate Hain | ईंधन किसे कहते हैं | प्राथमिक ईंधन किसे कहते हैं | द्वितीयक ईंधन किसे कहते हैं | भविष्य का ईंधन किसे कहते हैं | जैव ईंधन किसे कहते हैं

उत्पत्ति के आधार पर ईंधन –

प्रकृति में ईंधन अलग-अलग रूपों में पाया जाता है, साथ ही इनके उत्पत्ति के अनुसार ही इनकी प्रकृति भी अलग-अलग होती है, ईंधन को अच्छी तरह समझने के लिए इसे अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत किया गया है, उत्पत्ति के आधार पर ईंधन की परिभाषा –

प्राकृतिक ईंधन या प्राथमिक ईंधन –

वे ईंधन जो मूल रूप में ही ऊष्मा उत्पन्न करने के लिए लाए जाते है, तो इस प्रकार के ईंधन को प्राकृतिक ईंधन या कच्चे ईंधन या प्राथमिक ईंधन कहते है।

प्राथमिक ईंधन जिस रूप में हमें किसी स्त्रोत से मिलते है वे उसी रूप में प्रयोग में लाए जाते है, इन्हें किसी भी प्रकार से शोधित नहीं किया जाता है।

प्राथमिक ईंधन के उदारण – कोयला, लकड़ी प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम इत्यादि।

शोधित ईंधन या द्वितीयक ईंधन –

वे ईंधन जो प्राथमिक ईंधन में भौतिक या रासायनिक परिवर्तन करके प्राप्त किए जाते है, उन्हें शोधित ईंधन या द्वितीयक ईंधन कहते है।

इस प्रकार के ईंधन को निर्माणित ईंधन या मैन्युफैक्चर्ड ईंधन भी कहते है।

शोधित ईंधन के कुछ उदाहरण – कोल गैस, जल गैस, पेट्रोल और डीजल इत्यादि , शोधित ईंधन की श्रेणी में आते है।

भौतिक अवस्था के आधार पर –

ऊपर बताए गए फ्यूल को उनकी अवस्थाओं के आधार पर दूसरी कैटगरी में बांटा गया है, ताकि हमें इसे समझने में आसानी हो सके, नीचे इसके बारे में जानकारी दी गई है –

ठोस ईंधन –

ऐसे ईंधन फ्यूल जो ठोस अवस्था में पाए जाते है, इन्हें ठोस ईंधन कहते है, जैसे – लकड़ी, कोयला, चारकोल, पैराफिन मोम।

ठोस ईंधन के दहन के बाद रख शेष के रूप में बचती है, तथा ये कम ऊष्मा उत्पन्न करते है।

द्रव या तरल ईंधन –

ऐसे ईंधन जो कमरे के तापमान पर लिक्विड अवस्था में पाए जाते है, उन्हें द्रव ईंधन या तरल ईंधन कहते है, जैसे – डीजल, पेट्रोल, द्रवित हाइड्रोजन, अल्कोहल इत्यादि।

द्रव या तरल ईंधन के दहन के पश्चात कोई रख नहीं बचती और ये ठोस ईंधन की तुलना में अधिक ऊष्मा उत्पन्न करते है।

गैसीय ईंधन –

ऐसे ईंधन जो गैसीय अवस्था में पाए जाते है, उन्हें गैसीय ईंधन कहते है, जैसे – प्राकृतिक गैस, कोल गैस, जल गैस, हाइड्रोजन गैस, प्रोड्यूसर गैस, बायो गैस, एसीटिलीन इत्यादि।

द्रव ईंधन की तरह गैसीय ईंधन भी जलने के बाद कुछ शेष नहीं बचता और ये द्रव ईंधन से भी ज्यादा ऊष्मा उत्पन्न करते है।

परमाणवीय या नाभिकीय ईंधन –

इन सबके अलावा परमाणवीय या नाभिकीय ईंधन भी है जो हमारे लिए ऊर्जा का बहुत बाद स्त्रोत है।

अन्य किसी भी तरह फ्यूल को जलने के फ्यूल के साथ ऑक्सीजन हवा के साथ मिक्स होकर जलती है, बिना वायु के ईंधन का जलना संभव नहीं है।

लेकिन परमाणवीय या नाभिकीय ईंधन में ऊर्जा का कारण ‘नाभिकीय विखंडन’ या ‘नाभिकीय संलयन’ की प्रक्रिया होती है, इस प्रक्रिया में अपार मात्रा में विकिरण और ऊष्मा ऊर्जा निकलती है।

नाभिकीय ईंधन बाकी किसी भी ईंधन की तुलना में ज्यादा एनर्जी एफ़िशिएन्ट और पर्यावरण के लिए अनुकूल होते है।

लेकिन इसकी सबसे बड़ी कमी यह है कि ये ईंधन हानिकारक रेडिएशन छोड़ते है जिस कारण से इसे बहुत ही सावधानी पूर्वक रखना पड़ता है, बहुत अधिक मात्रा में रेडिएशन छोड़ने के कारण इसे विशेष रूप से बनाई गई परमाणु भट्ठी में ही प्रयोग किया जा सकता है।

नाभिकीय ईंधन का प्रयोग बड़े-बड़े पावर प्लांट्स में ही यूज किया जाता है, जहां से कई सौ, हजार मेगावाट तक की बिजली बनाई जाती है।

ईंधन का महत्व –

ईंधन से हमें ऊष्मीय ऊर्जा प्राप्त होती है, इस ऊष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा अथवा यांत्रिक ऊर्जा से वैद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है।

हमारे घरों में खाना पकाने, लकड़ी, उपले गोबर गैस, लिक्विड पेट्रोलियम गैस, प्रकाश करने के लिए केरोसिन का प्रयोग सदियों से करते आ रहे है, ये सभी माध्यम ईंधन कहे जाते है।

जल, थल तथा वायु में चलने वाले परिवहन के साधन, जैसे – मोटरकार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रक, पानी के जहाज, वायुयान इत्यादि में अलग-अलग तरह के ईंधन का प्रयोग किया जाता है।

विभिन्न उद्योगों में किसी भी उत्पादन के लिए ईंधन की आवश्यकता पड़ती है, जैसे – कारखाने के बायलरों को कोयला, तेल तथा प्राकृतिक गैस इंधनों को जलाकर गर्म किया जाता है।

इसके अलावा घरेलू तथा उद्योगों में विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए, ताप बिजली घरों में बिजली के उत्पादन के लिए कोयला तथा यूरेनियम जैसे ईंधन की आवश्यकता होती है।

अंतरिक्ष में छोड़े जाने वाले रॉकेटों को भेजने के लिए कृत्रिम रबड़ तथा द्रवित हाइड्रोजन जैसे विशेष उपयोग में लाए जाते है।

इस प्रकार हम देखते है, अलग-अलग तरह के ईंधन का प्रयोग अलग-अलग क्षेत्र में किया जाता है, यह हमारे लिए इतना जरूरी है कि बिना ईंधन के मानव जीवन की कल्पना करना बहुत मुश्किल है।

विभिन्न प्रकार के ईंधन –

नीचे कुछ ऐसे ईंधन के बारे में जानकारी दी गई है, जो आमतौर पर हम दैनिक जीवन में या कमर्शियल जगहों पर उपयोग में देखते है।

कोल गैस (Coal Gas) –

कोल गैस कई प्रकार की ज्वलनशील गैसों का मिश्रण होता है, इसका संघटन कोयले की किस्म और भंजक स्रवण के ताप पर निर्भर करता है, कोल गैस की औसत प्रतिशत रचना इस प्रकार है-हाइड्रोजन-55%, मिथेन-30%, कार्बन मोनोआक्साइड-4%, असंतृप्त हाइड्रोकार्बन-3%, तथा अज्वलनशील अशुद्धियां-8% के आसपास होती है।

भाप अंगार गैस (Water Gas) –

भाप अंगार गैस, कार्बन मोनोआक्साइड और हाइड्रोजन के अणुओं का मिश्रण होता है, इसमें अशुद्धियों के रूप में CO2, H2O और N2, मौजूद होती है, इसे बनाने के लिए रक्त तप्त कोक पर पनि की भाप की धारा प्रवाहित करके प्राप्त किया जाता है।

वाटर गैस का कैलोरी मान प्रोड्यूशर गैस से ज्यादा होता है, यह अकेले अथवा कोल गैस के साथ मिलकर ईंधन के रूप में प्रयोग में लायी जाती है, इस ईंधन से मिथाइल ऐल्कोहॉल बनाया जाता हैं, यह हाइड्रोजन गैस बनाने के भी काम आती है जो अमोनिया के औद्योगिक उत्पादन में उपयोगी है।

वायु अंगार गैस (Producer Gas) –

कार्बन मोनोआक्साइड (CO) तथा नाइट्रोजन (N2) का मिश्रण होता है जिसमें आयतनानुसार दो भाग नाइट्रोजन और एक भाग कार्बन-मोनोआक्साइड होता है, इस मिश्रण को वायु अंगार गैस या प्रोड्यूसर गैस कहा जाता है।

इस ईंधन में अशुद्धि के रूप में थोड़ा कार्बन डाइऑक्साइड मौजूद रहता है, इसका कैलोरी मान अन्य ईंधनों की तुलना में सबसे कम होता है, यह एक सस्ता ईंधन है जो जलकर उच्च ताप देता है, उद्योगों के अंदर कांच के निर्माण तथा धातु निष्कर्षण में इसका बहुत उपयोग होता है।

तेल गैस (Oil Gas) –

तेल गैस मिट्टी के तेल (Kerosine oil) या पेट्रोलियम के भंजक स्त्रावण द्वारा तैयार किया जाता है, यह सरल, संतृप्त एवं असंतृप्त हाइड्रोकार्बन का मिश्रण होता है, जैसे -मिथेन, ऐसीटिलीन, इथिलीन आदि, इस गैस में वायु मिलाकर प्रयोगशाला में बर्नर जलाये जाते हैं।

पेट्रोलियम गैस इथेन, प्रोपेन और ब्यूटेन का मिश्रण होता है, इसका प्रमुख अवयव नार्मल एवं आइसो ब्यूटेन होता है जो तेजी से जलकर ऊष्मा प्रदान करता है।

दाब बढ़ाने पर नार्मल एवं आइसो ब्यूटेन आसानी से लिक्विड में बदल जाता है, इस लिक्विड रूप में सिलिंडरों में भरकर लिक्विड पेट्रोलियम गैस के रूप के बेचा जाता है, जिसे हम LPG के नाम से जानते है, इसका प्रयोग खाना बनाने के लिए घरों में तथा अन्य कार्यों में किया जाता है।

प्राकृतिक गैस (Natural Gas) –

तेल के कुओं से निकलने वाली गैसों में मुख्य रूप से मिथेन तथा इथेन (क्रमश: 83% एवं 16%) होती है जो ज्वलनशील होने के कारण ईंधन के रूप में प्रयोग की जाती है।

यदि ऊष्मा की मात्रा के आधार पर देखा जाए तो प्राकृतिक गैस सर्वश्रेष्ठ ईंधन है, प्राकृतिक गैस तेल के कुओं से भी बाई प्रोडक्ट के रूप में प्राप्त किया जाता है।

प्राकृतिक गैस गैस का प्रमुख घटक मिथेन (CH4) होता है, प्राकृतिक गैस का उपयोग कृत्रिम उर्वरकों के उत्पादन में और वाहनों के अंदर CNG के रूप में किया जाता है।

कोयला (Coal) –

धरती के अंदर, कोयला व्यापक रूप से मिलने वाला जीवाश्म ईंधन है, कोयले के अंदर 60-90% मुक्त कार्बन तथा उसके यौगिक के अतिरिक्त नाइट्रोजन, गंधक, लोहा, आदि के यौगिक मौजूद रहते है।

कोयला मुख्यत: 4 प्रकार के होते हैं – लिग्नाइट (Lignite), पीट (Peat), एन्थ्रासाइट (Anthracite) तथा बिटुमिनस (Bituminous)|

पीट कोयला, कोयले के निर्माण की प्राथमिक अवस्था होती है, एन्थ्रासाइट सर्वोत्तम किस्म का कोयला होता है, एन्थ्रासाइट कोयले के निर्माण की अंतिम अवस्था होती है, एन्थासाइट कोयला जलने पर धुआँ नहीं देता है और बाकी कोयले से ज्यादा ऊर्जा का उत्पादन करता है।

इन दोनों के बीच में आने वाला बिटुमिनस सामान्य किस्म का कोयला होता है, इस कोयले का प्रयोग इंजन में चलाने के लिए, कोल गैस बनाने इत्यादि के लिए काम आता है।

वायु की अनुपस्थिति में कोयले को गर्म करने पर कोक, अलकतरा और कोल गैस प्राप्त होते हैं, इस प्रक्रिया को कोयले का भंजक स्त्रावण’ (Destructive distillation of coal) कहा जाता है।

ईधन का ऊष्मीय मान (Calorific value) –

किसी भी ईंधन का ऊष्मीय मान ऊष्मा की वह मात्रा है, जो उस ईंधन की एक ग्राम मात्रा को वायु या ऑक्सीजन में पूर्णतः जलाने के बाद मिलती है।

इस दौरान उत्पन्न ऊष्मा को कैलोरी, किलो कैलोरी या जूल के रूप में व्यक्त किया जाता है, एक अच्छे ईधन का ऊष्मीय मान अधिक होना चाहिए, जितना ज्यादा कैलोरी मान उतना अच्छा फ्यूल माना जाता है।

अगर ईंधन के बीच देखा जाए तो हाइड्रोजन का उष्मीय मान सबसे अधिक होता है, हाइड्रोजन गैस अत्यंत ज्वलनशील होती है, यही कारण है कि इसका उपयोग घरेलू या औद्योगिक ईंधन के रूप में सामान्य तौर पर नहीं किया जाता।

अत्यंत ज्वलनशील होनव के कारण इसका उपयोग अंतरिक्ष यानों में तथा उच्च ताप उत्पन्न करने वाले ज्वालकों में किया जाता है, जहां पर ज्यादा ऊर्जा की जरूरत पड़ती है।

नीचे कुछ ईंधन के कैलोरी मान की लिस्ट दी गई है –

ईंधन MJ/kgkcl/kg
प्राकृतिक गैस53,612,800
एसीटलीन48,5511,600
प्रोपेन, पेट्रोल, ब्यूटेन46,011,000
डीजल42,710,200
ईंधन तेल40,29,600
एन्थ्रेसाइट 34,78,300
कोक 32,67,800
कोयला गैस29,37,000
अल्कोहल 95º पर28,26,740
लिग्नाइट20,04,800
पीट19,74,700
बिटुमिनस कोयला16,74,000

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Summary –

इसमें कोई शक नहीं कि हम आज के समय में जिस ईंधन का प्रयोग कर रहे है, उनसे प्रदूषण तो होता है साथ ही धरती पर इनका सीमित भंडार है, जो आने वाले समय में एक दिन खत्म हो जाएगा।

धीरे-धीरे बदलते समय के साथ हमें ईंधन के ऐसे विकल्पों की तरफ जाना होना जो कि पर्यावरण के लिए सुरक्षित हो साथ ही यह हमारे लिए पारंपरिक फ्यूल से ज्यादा किफायती और सुरक्षित हो।

इसमें सबसे ज्यादा संभावना सौर ऊर्जा में दिखाई देती है, सूर्य हमारे लिए ऊर्जा का असीमित भंडार है, आने वाले करोड़ों सालों के लिए यह हमारी ऊर्जा की सभी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है।

तो दोस्तों, ईंधन किसे कहते है इसके बारे में यह आर्टिकल आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं नीचे कमेन्ट बॉक्स में, यदि आपके पास इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव हो तो उसे भी लिखना न भूले, धन्यवाद 🙂

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