Mesopotamia Ki Sabhyata【मेसोपोटामिया की सभ्यता】कल्चर, फ़ैक्ट

Mesopotamia Ki Sabhyata | मेसोपोटामिया की सभ्यता | mesopotamia ki sabhyata kis nadi ke kinare viksit hui | मेसोपोटामिया का इतिहास | मेसोपोटामिया कहां स्थित है | मेसोपोटामिया सभ्यता की भौगोलिक स्थिति बताइए | मेसोपोटामिया की सभ्यता क्या है | मेसोपोटामिया की सभ्यता pdf

धरती पर इंसानी जीवन का अस्तित्व भले ही लाखों करोड़ों सालों से रहा हो, लेकिन इंसान ने एक सभ्यता के रूप में एक जगह घर बनाकर रहने की परंपरा की शुरुआत, बहुत समय बाद शुरू किया, आज की तरह एक इकोसिस्टम में रहने की शुरुआत, मेसोपोटामिया की सभ्यता से माना जाता है, जिस रूप में हम वर्तमान में रहते है।

Hello Friends, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है, मेसोपोटामिया की सभ्यता के बारे में, इसका इतिहास, कल्चर, कैसे यह इतनी प्रसिद्ध हुई, तथा इससे जुड़ी कुछ फ़ैक्ट के बारे में बात करेंगे, उम्मीद करता हूँ आपको यह पसंद आएगा।

Mesopotamia Ki Sabhyata –

Mesopotamia Ki Sabhyata | मेसोपोटामिया की सभ्यता
Mesopotamia Ki Sabhyata | मेसोपोटामिया की सभ्यता

मेसोपोटामिया का इतिहास, दक्षिण-पश्चिम एशिया में उस क्षेत्र का इतिहास है, जहां दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता विकसित हुई।

विश्व की सभ्यताओं में मेसोपोटामिया की सभ्यता का महत्त्वपूर्ण स्थान है। “मेसोपोटामिया” शब्द, ग्रीक भाषा से आया है, यह ग्रीक भाषा के दो शब्दों ‘मेसो’ और ‘पोटामिया’ से मिलकर बना है।

जिसमें मेसो का अर्थ है – मध्य (बीच) और पोटामिया का अर्थ है- नदी, जिसका सम्मिलित अर्थ है “नदियों के बीच” मौजूद भूमि, अर्थात् दो नदियों के बीच के क्षेत्र (दोआब) को मेसोपोटामिया कहा जाता था।

मेसोपोटामिया की सभ्यता में जिस भूमि का जिक्र मिलता है वह भूमि “दजला” और “फरात” नाम की दो नदियों के बीच मौजूद है, यह सभ्यता इन्हीं दो नदियों के बीच विकसित हुई।

मोटे तौर पर इस क्षेत्र में, वर्तमान समय के हिसाब से पूर्वी सीरिया, दक्षिणपूर्वी तुर्की और इराक के अधिकांश भाग को प्राचीन काल में मेसोपोटामिया कहा जाता था।

मेसोपोटामिया की सभ्यता के दौरान यह क्षेत्र एक संस्कृति का केंद्र था जिसका प्रभाव पूरे मध्य पूर्व और सिंधु घाटी, मिस्र और भूमध्य सागर तक फैला हुआ था।

मेसोपोटामिया का विस्तार क्षेत्र उत्तर में कालासागर, दक्षिण में अरब सागर, पूरब में कैस्पियन सागर, ईरान का पठार, फारस की खाड़ी तथा पश्चिम में भूमध्य सागर एवं कालासागर से घिरा हुआ है।

मेसोपोटामिया क्षेत्र के समीपवर्ती सागर निकटवर्ती देशों के साथ इसके संपर्क में सहायक रहे, जिसके कारण यहाँ की सभ्यताएँ मिनोअन, सिंधु एवं चीन की तत्कालीन सभ्यताओं के संपर्क में आईं।

दजला और फरात नदियों के मुहाने पर सुमेरियन सभ्यता बीच में बेबीलोनियन सभ्यता तथा उत्तर में असीरिया सभ्यता का विकास हुआ, इन सभ्यताओ के विषय में यह कहावत प्रचालित हैै की सुमेरिया ने सभ्यता को जन्म दिया बेबीलोनिया ने उसे उत्पत्ति के चरम शिखर तक पहुँचाया और असीरिया ने उसे आत्मसात किया।

मेसोपोटामिया में चार प्रसिद्ध सभ्यताएं हुईं हैं – सुमेरिया, बेबीलोन, असीरिया, कैल्ड्रिया, दुसरे शब्दो में कहें तो सुमेरिया, बेबीलोनिया और असीरिया इन तीनो सभ्यताओ के सम्मिलन से जो सभ्यता विकसित हुई उसे मेसोपोटामिया की सभ्यता कहा गया।

दजला और फरात नदियों के बीच मिले अवशेष में, ईसा पूर्व चौथी सदी से करीब 3,000 सालों तक मेसोपोटामिया की सभ्यता के सबूत मिलते हैं,  मिले है, जिससे धरती पर इंसानी सभ्यता के पहले शहर के बसने के बारे में जानकारी मिलती है। 

खोजकर्ताओं का मानना है की ईसा पूर्व पहली सदी आते आते वहां बेबीलोन और निनवे जैसे कई शहर बस चुके थे।

यूफ्रेट्स नदी मेसोपोटामिया की सबसे महत्वपूर्ण नदी थी, इस नदी के द्वारा यहाँ का अधिकतम व्यापार संचालित होता था, इस नदी की खास बात यह है की इसमें बाढ़ आने का खतरा बहुत कम होता था।

मेसोपोटामिया का वर्तमान स्थान इराक और कुवैत में टाइग्रिस और यूफ्रेट्स नदियों के बीच है।

मेसोपोटामियन सभ्यता विकसित होने के कारण –

इंसानी सभ्यता आमतौर पर नदी के किनारे ही विकसित हुई है, क्योंकि नदी के किनारे पर्याप्त मात्रा में संसाधन उपलब्ध होते है, जो की मानव जीवन के लिए जरूरी है।

मेसोपोटामिया की सभ्यता भी नदियों के किनारे ही विकसित हुई, हार साल बाढ़ के दौरान, जुड़वां नदियाँ अपने किनारों पर बहने लगती थी और जलोढ़ गाद जमा कर देती थीं, जिससे नदी के किनारे जमीन का बहुत बड़े हिस्से की मिट्टी उपजाऊ हो जाती थी और इसलिए लोगों को अंततः इस क्षेत्र में बढ़ने और बसने के लिए एक महत्वपूर्ण कारण मिला।

मेसोपोटामिया की कोई प्राकृतिक सीमा नहीं थी, जैसे – पर्वत, रेगिस्तान या समुद्र, जो इसकी रक्षा कर पाते। इसलिए, इस उपजाऊ क्षेत्र ने क्षेत्र के बाहर से कई जनजातियों को आकर्षित किया।

मेसोपोटामिया की संस्कृति –

मेसोपोटामिया प्राचीन संस्कृतियाँ हैं – सुमेरियन, असीरियन, अक्काडियन और बेबीलोनियन।

इन संस्कृतियों ने कई हज़ार वर्षों के दौरान एक-दूसरे के साथ तालमेल बना कर चलती रही और एक-दूसरे पर शासन किया।

मेसोपोटामिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को सुमेर कहा जाता था। इसके उत्तर में अक्कड़ और बेबीलोन थे, वर्तमान में, यह क्षेत्र अधिकांश इराक और सीरिया के कुछ हिस्सों में है और तुर्की से मेल खाता है।

समय-समय पर इस संभ्यता पर इसकी अलग-अलग सभ्यताओं ने शासन किया है, सुमेर, अक्कड़, बबालोन, असीरिया, कसदियन बेबीलोन, फारसी सभ्यताओं ने मेसोपोटामिया क्षेत्र को नियंत्रित किया।

इस क्षेत्र में बसने वाली सबसे पहली जनजाति सुमेरियन के नाम से जानी जाती थी, इसे सबसे शक्तिशाली सभ्यता और सबसे प्रसिद्ध सभ्यता के रूप में जाना जाता है।

सुमेरियों ने दुनिया की पहली सभ्यता विकसित की और मेसोपोटामिया के सबसे पुराने शहर की स्थापना की लगभग 3500 ईसा पूर्व के – आसपास के राज्य। और 1500 से अधिक वर्षों के लिए प्रस्तावित।

बाद में उन्हें अश्शूरियों, अक्कादियों और अंततः बेबीलोनियों द्वारा जीत लिया गया।

मेसोपोटामियन सभ्यता की उपलब्धियां –

सभ्यता के शिखर में मेसोपोटामिया में शिक्षा को लेकर बहुत से चलन देखने को मिलते है जो इसके ज्ञान के उच्च स्तर को दर्शाते है, मेसोपोटामियन सभ्यता द्वारा विश्व को दी गई सबसे बड़ी विरासत समय की गणना और गणित है।

वर्ष 1800 ईसा पूर्व के आसपास यहाँ तालिका, गुणा और भाग, वर्ग और तलिकाएं, चक्रवृद्धि ब्याज और वर्ग-मूल तालिकाएं इत्यादि चीजें पढ़ाई जाती थी, इनके लेखों में 2 का वर्गमूल इस प्रकार दिया गया था- 1+24/60+51/602+ 10/603।

मेसोपोटामियन ने गणित के क्षेत्र में सर्वप्रथम 1, 10 और 100 के चिन्हों का खोज किया और लिपि के रूप में लिखा। 

खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भी मेसोपोटामियन ने एक उपलब्धि हासिल की और बुध, शुक्र, मंगल, गुरु तथा शनि आदि ग्रहों का पता लगा लिया था।

आकाश के नक्षत्रों को 12 राशियों में बांट कर उनके नामकरण किया, इसके साथ ही उन्होंने एक पंचांग भी बनाया था, सौरमंडल में सूर्यग्रहण तथा चंद्रग्रहण के कारणों का भी पता लगा लिया था।

इस सभ्यता में समय को मापने के लिए धूप घड़ी और सूर्य घड़ी का भी आविष्कार किया।

मेसोपोटामिया की सभ्यता की विशेषताएं –

1. मेसोपोटामिया की सभ्यता के अंतर्गत सुमेरियन ,बेबीलोन तथा असीरियन की सभ्यताओं का विकास हुआ, सम्मिलित रूप से इन सभी सभ्यताओं को मेसोपोटामिया की सभ्यता कहा जाता है।

2. यहाँ के लोग मांस-मछली का भी सेवन करते थे, भोजन में गेहूं तथा जौ की रोटी, दूध, दही, मक्खन, फल आदि का प्रयोग करते थे, खजूर से आटा, चीनी, तथा पीने के लिए शराब बनाते थे।

3. पुरुषों के वस्त्रों में लुंगी प्रमुख थी, आज भी दक्षिण भारत के बहुत से प्रांतों में पहनी जाती है, प्रमुख पोशाक के रूप में पाहणी जाती है।

4. मेसोपोटामिया के लोग भेड़ की खाल से बने, उनी तथा सूती वस्त्र पहनते थे।

5. यहाँ की नगर व्यवस्था, बिल्कुल व्यवस्थित थी, मोहनजोदडो और हड़प्पा के नगरों के सामान, यहाँ का ड्रेनेज सिस्टम था, जिससे मकानों का गंदा पानी बाहर निकलता था।

6. पर्दा प्रथा का प्रचलन था, लेकिन राज-परिवारों तक ही सीमित था, इसके साथ ही विवाह में दहेज़ का चलन था लेकिन विवाह में पिता से प्राप्त दहेज़ पर वधू का ही अधिकार होता था, विधवा औरत को पति की सम्पति बेचने का अधिकार प्राप्त था।

7. मेसोपोटामिया के लोग गणित में निपुण थे, नाप तौल के लिए अनेक प्रकार के बांटो का आविष्कार किया तथा लेन-देन व व्यापार के लिए सिक्के बनाये।

8. इस सभ्यता की संसार को सबसे बड़ी देन कीलाक्षर लिपि है, कीलाक्षर लिपि में 250 से भी अधिक शब्द थे, शुरुआत में यह लिपि चित्रों पर आधारित थी, बाद में यह ध्वनि आधारित हो गई।

9. मेसोपोटामिया लोग लिखने के लिए नरम मिट्टी की बनी तख्तियों पर सरकण्डे की कलम का प्रयोग करते थे।

इन सभी चीजों के साक्ष्य निनवेह की खुदाई के दौरान मिले है, मेसोपोटामिया के इस इतिहास पर बहुत सी कहानियां, महाकाव्य , गीतिकाव्य तथा धार्मिक उपदेश संकलित है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल –

मेसोपोटामिया की महत्वपूर्ण नदी कौन सी थी?

यूफ्रेट्स नदी मेसोपोटामिया की सबसे महत्वपूर्ण नदी थी, इस नदी के द्वारा यहाँ का अधिकतम व्यापार संचालित होता था, इस नदी की खास बात यह है की इसमें बढ़ आने का खतरा बहुत कम होता था।

मेसोपोटामिया की समयावधि क्या थी?

मेसोपोटामिया की समयावधि 3500 से 500 ईसा पूर्व (B.C.) मानी जाती है।

मेसोपोटामिया की सभ्यता किस धातु की मानी जाती है?

मेसोपोटामिया की सभ्यता कांस्य है।

मेसोपोटामिया का अर्थ क्या है?

मेसोपोटामिया का अर्थ है, दो नदियों के बीच की भूमि।

मेसोपोटामिया की दो नदियां?

“दजला” और “फरात” ये दो नदियां है जिनके बीच में मेसोपोटामिया की सभ्यता विकसित हुई।

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