Ottoman Empire in Hindi | History of Ottoman Empire in Hindi | What is Ottoman Empire in Hindi | ओटोमन साम्राज्य क्या है? | ओटोमन एम्पायर क्या है
कल्पना कीजिए एक ऐसी सभ्यता का जिसका स्वर्णकाल 16 वीं शताब्दी तक अपनी बुलंदियों को छू रहा था, इस समय इतने घटनाएं हुई कि यह एक इतिहास में शामिल हो गया, ऐसे कई सारे खतरनाक ट्रेंड जो कि इस सभ्यता में पहली बार देखने को मिलते है।
Hello Friends, स्वागत ही आपका हमारे ब्लॉग पर, आज हम बात करने जा रहे है, ऑटोमन एम्पायर के बारे में कैसे इस सभ्यता का उदय हुआ, उस्मानी साम्राज्य के इतने विशाल होने के क्या कारण थे?
कैसे इस साम्राज्य का अंत हुआ और आज के समय में यह साम्राज्य कहां स्थित है, इससे जुड़े कुछ आश्चर्यजनक तथ्य तथा ढेर सारी बातों के बारे में उम्मीद करता हूं आपको यह पसंद आएगा।
ओटोमन एम्पायर क्या है? (Ottoman Empire in Hindi) –
ओटोमन साम्राज्य का उदय वर्ष 1266 में हुआ, इसे तुर्क साम्राज्य या उस्मानीय सल्तनत भी कहा जाता है, उस्मानिया सल्तनत कई सदियों तक क़ायम रहने वाली एक बड़ी सल्तनत थी।
इस सभ्यता ने यूरोप, मध्य पूर्व और उत्तर अफ़्रीका के बड़े हिस्से पर हुकूमत की और दूरगामी प्रभाव छोड़े, इस साम्राज्य का विस्तार दक्षिण पूर्वी यूरोप, पश्चिम एशिया से लेकर उत्तरी अफ्रीका तक हो गया था।
ओटोमन का अर्थ ‘तुर्क’ होता है और तुर्क शब्द खानाबदोशों के लिए प्रयोग किया जाता था, ओटोमन साम्राज्य एक तुर्क साम्राज्य था जिसके संस्थापक “उस्मान गाज़ी” थे इन्हीं के नाम से इस साम्राज्य को ‘उस्मानी साम्राज्य’ भी कहा जाता है।
ओटोमन अम्पायर को समझने के लिए इसके भौगोलिक स्थिति को समझते है, उस समय यह तीन महाद्वीपों (एशिया, अफ्रीका और यूरोप) में फैला हुआ, सम्राज्य था।
इसकी राजधानी इस्तान्बुल थी जो कि एक ऐसी जगह पर मौजूद है जो उस समय में एक महत्वपूर्ण ट्रेड रूट पर मौजूद था।
यह एक ऐसी सभ्यता है जो सबसे अधिक समय तक अस्तित्व में रही थी, इस साम्राज्य ने लगभग सात सौ साल तक राज किया और अपनी शीर्ष अवस्था तक इस साम्राज्य का विस्तार लगभग 58 लाख वर्ग किमी तक फ़ैल चुका था।
इस सभ्यता का एक संबंध भारत से भी है, यह एक ऐसा साम्राज्य था जिसने इस्लाम को उसकी बुंलदियों पर पहुँचाने और भारत में मुग़ल सल्तनत (मुगल काल) की नींव को कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ओटोमन सभ्यता का उदय वर्ष 1266 में हुआ और इसके बाद साल 1922 तक इसका अस्तित्व रहा है, इसके इतने वर्षों तक मौजूद रहने के कारण इसके इतना प्रचलित होने का एक बड़ा कारण है।
ओटोमन साम्राज्य को शक्ति, स्थिरता और धन के साथ खड़ा किया गया था, इसके शासक सुलेमान ने सभी के लिए समान प्रणाली बनाई जिसके अंतर्गत उन्होंने कला और साहित्य के विभिन्न रूपों को भी अपनाया था।
ओटोमन अम्पायर के इतिहास को अगर देखा जी तो इसके काल को 5 भागों में बाँटा जा सकता है।
1. सभ्यता का ऊदय – 1299 से लेकर साल 1453 तक
2. सभ्यता का विस्तार और इसका स्वर्णिम काल – 1453 से लेकर साल 1566 तक
3. स्थिर काल (न विकास हुआ और न ही विस्तार हुआ) – 1566 से लेकर साल 1827 तक
4. सभ्यता का पतन (विनाश) की शुरुआत – साल 1828 से (लगभग)
5. ऑटोमन अम्पायर का विघटन – प्रथम विश्व युद्ध – 1922 के समय
सभ्यता के शुरुआती 100 सालों में, कमजोर पड़ोसी राज्यों और बेल्किन तथा अन्य क्रिश्चियन राज्यों के द्वारा की गई भारी गलतियों ने ओटोमन अम्पायर को उस क्षेत्र के सबसे बड़े शक्ति के रूप में निर्मित किया।
ओटोमन ने इस शक्ति का प्रयोग बाकी के राज्यों के ऊपर सत्ता जमाने के लिए सीढ़ी की तरह प्रयोग किया, जिसमें वे सफल भी रहे।
ओटोमन सभ्यता का पतन –
वर्ष 1600 के दशक की शुरुआत में ओटोमन साम्राज्य ने यूरोप में फिर से आर्थिक और सैन्य प्रभुत्व कायम करना आरंभ कर दिया।
यह वो दौर था जब यूरोप औद्योगिक क्रांति के साथ तेजी से मजबूत होने लगा लेकिन ओटोमन साम्राज्य अमेरिका और भारत के व्यापार से मुकाबला करने में कमजोर पड़ने लगा।
अंत में वर्ष 1683 में यूआना के साथ लड़ाई में तुर्क (तुर्की) हार गया और यही हार उनके पतन का एक प्रमुख कारण बनी।
इसके बाद सन 1922 आते-आते ओटोमन साम्राज्य की प्रशासनिक शिथिलता व अक्षमताओं की वजह से संपूर्ण साम्राज्य की कृषि, उद्योग-धंधे और व्यापारिक स्थिति बहुत कमजोर हो गई।
इसका प्रभाव दूसरे उद्योग धंधों पर भी पद और इसका नतीजा यह हुआ कि पूरे सल्तनत की कार्यक्षमता घट गई, इसकी वजह से इसका एक बड़ा हिस्सा यूरोप के अधीन हो गया।
इन सबका परिणाम यह हुआ कि ओटोमन सम्राज्य का धीरे-धीरे पतन हो गया और प्रथम विश्व युद्ध के समय इसका अंत हो गया।
ओटोमन अम्पायर से जुड़े तथ्य –
अगर आप विश्व के इतिहास में कई सल्तनत में देखेंगे तो पाएंगे कि भाइयों, बाप-बेटों और दूसरे रिश्तेदारों में तख़्त के लिए हत्या और जंग के उदाहरण मिलते हैं।
उसी तरह उस्मानिया सल्तनत भी इसमें पीछे नहीं है, यहाँ भी ऐसी बहुत सी घटनाएं हुई है जिसमें अपने सगे लोगों को केवल कुर्सी के लिए मार दिया गया।
ओटोमन अम्पायर के इतिहास में इस तरह की घटनाओं के उदाहरण मिलते है, सुल्तान अहमद प्रथम के पिता सुल्तान मेहमत तृतीय के गद्दी पर बैठने से।
साल 1595 का एक दिन, तुर्क सम्राज्य अपनी बुलंदियों पर है, ये वो दिन है जब उस समय की सुपर पावर की सत्ता सुल्तान मुराद तृतीय की मौत के बाद उनके बेटे मेहमत को मिल चुकी है जो अब सुल्तान मेहमत तृतीय हैं।
लेकिन इतिहास में इस दिन को इस वजह से याद किया जाता है कि इस्तांबुल में शाही महल में नए सुल्तान के आने से ज़्यादा वहां से 19 शहज़ादों के जनाजे निकाले गए।
ये जनाज़े नए सुल्तान मेहमत तृतीय के छोटे भाइयों के थे जिन्हें सम्राज्य में उस समय प्रचलित “भाइयों के क़त्ल की शाही परंपरा” के तहत नए सुल्तान के गद्दी पर बैठते ही सभी को बारी-बारी से गला घोंट कर मार दिया गया था।
अगर साल 1595 से कुछ वर्ष पीछे साल 1574 में जाएं तो पता चलेगा कि सुल्तान मेहमत तृतीय के पिता सुल्तान मुराद तृतीय के राज्य के प्रमुख बनने के बाद पहला दिन भी कुछ इसी तरह बीता था।
उन्हें भी अपना शशन शुरू करते समय ऐसे ही मुश्किल फ़ैसले का सामना करना पड़ा, सुल्तान मुराद के पिता उस्मानिया सल्तनत के 11वें सुल्तान सलीम द्वितीय की मौत सन् 1574 में 50 साल की उम्र में हुई।
इसी साल उस्मानी सम्राज्य ने उत्तर अफ्रीका में ट्यूनिस पर भी जीत हासिल की थी।
अब सत्ता की बागडोर सुल्तान सलीम द्वितीय के सबसे बड़े बेटे मुराद तृतीय के हाथ आई जो अपने छोटे भाई से 20 साल बड़े थे और उनकी सत्ता को ज़ाहिर तौर पर कोई ख़तरा नहीं था, लेकिन फिर भी सल्तनत के नियम के अनुसार उन्होंने गद्दी पर बैठते ही अपने सब भाई मरवा दिए और जिन्हें फिर अपने पिता सुल्तान सलीम द्वितीय के बराबर में दफ़न करवा दिया।
सुल्तान मुराद बहुत रहम दिल इंसान थे और ख़ून बहाना बर्दाश्त नहीं कर सकते थे, अपने भाइयों को बचाने के लिए अट्ठारह घंटे इन्तज़ार किया।
इस दौरान वो न गद्दी पर बैठे और न ही शहर में अपने आने का ऐलान किया और अपने नौ भाइयों की जान बचाने के तरीक़ों के बारे में सोचते रहे…
उस्मानिया सल्तनत के क़ानून के तोड़े जाने के डर से उन्होंने रोते हुए अपने कर्मियों को (जो गूंगे बहरे थे और विशेष रूप से इस काम के लिए तैयार किये गए थे।) शहज़ादों का गला घोंट कर मारने के लिए रवाना कर दिया।
“सुल्तान मुराद और सुल्तान मेहमत के भाइयों की छोटी-छोटी क़ब्रें बताती हैं कि सल्तनत में उस अफ़रातफ़री से बचने की क्या क़ीमत चुकाइ गई जो अक्सर किसी नए सुल्तान के गद्दी पर बैठते समय पैदा होती थी।”
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल –
तुर्क लोग अपनी किस कला के लिए जाने जाते हैं?
तुर्क घुड़सवारी के लिए प्रसिद्ध है, यही कला इन्हें युद्ध में विजय दिलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी।
ओटोमन साम्राज्य की क्या विशेषताएं थी?
यह सम्राज्य एशिया महाद्वीप और यूरोप महाद्वीप को आपस में जोड़ता था जिसके कारण दोनों महाद्वीपों के बीच होने वाले व्यापार से इस सल्तनत को बड़ा आर्थिक लाभ प्राप्त होता था इसके अलावा ओटोमन साम्राज्य के अंदर संस्कृति और सभ्यतों वाले प्रांत आते थे, इसलिए यह एक बहुराष्ट्रीय तथा बहुभाषीय साम्राज्य के रूप में भी जाना जाता था।
ओटोमन साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?
उस्मानी सभ्यता की स्थापना उस्मान-I के द्वारा की गई थी।
उस्मान-I किस ट्राइब पर शासन करता था?
ओटोमन अम्पायर से पहले उस्मान-I काइ ट्राइब पर शाशन किया करता था।
ओटोमन साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक किसे माना जाता है?
ओटोमन का वास्तविक संस्थापक उर्हान गाजी को माना जाता है, क्योंकि इसी के काल में ओटोमन साम्राज्य ने बाइंजे्टीन्स साम्राज्य को जीतना आरंभ कर दिया था, जो कि ओटोमन का एकमात्र बड़ा शत्रु था।
उर्हान गाजी ने बाइंजे्टीन्स साम्राज्य के नाइसिया शहर को लगातार तीन साल तक घेराबन्दी करने के बाद जीतने में सफल हुआ।
उर्हान गाजी के द्वारा बुर्सा तथा नाइसिया नाम के राज्य को जीतने के बाद ओटोमन साम्राज्य से अच्छे संबंध स्थापित करने के उद्देश्य से बाइंजे्टीन्स साम्राज्य के राजा जॉन-6 ने अपनी पुत्री की शादी उर्हान गाजी से करवा दी थी।
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Summary –
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