Rashtriya Geet Lyrics【राष्ट्रीय गीत】वन्दे मातरम् गीत लिरिक्स

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भारत का राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम्”, श्री बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के द्वारा लिखा गया था, ये बंगाल के एक महान साहित्यकार थे, “वंदे मातरम्” का सबसे पहले प्रयोग साल 1880 में अपने सुप्रसिद्ध उपन्यास “आनंदमठ” में किया था।

Hello Friends, स्वागत है आपका, हमारे ब्लॉग पर, इस पोस्ट में आपको भारत के राष्ट्रीय गीत के लिरिक्स (Rashtriya Geet Lyrics) और उससे जुड़े कई महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में उम्मीद करता हूँ आपको यह पसंद आएगा।

Rashtriya Geet Lyrics –

rashtriya geet lyrics 11 Rashtriya Geet Lyrics

वन्दे मातरम्।
सुजलाम् सुफलाम् मलय़जशीतलाम्
शस्यश्यामलाम् मातरम्।
वन्दे मातरम्।।
शुभ्रज्योत्स्ना पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुरभाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम् मातरम्।
वन्दे मातरम्।।
वन्दे मातरम्।।

Bharat Ka Rashtra Geet Lyrics in Hindi  Rashtriya Geet Lyrics in Hindi
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राष्ट्रीय गीत का हिंदी अनुवाद –

-मैं आपके सामने नतमस्तक होता हूँ। ओ माता!
-पानी से सींची, फलों से भरी,
-दक्षिण की वायु के साथ शान्त,
-कटाई की फसलों के साथ गहरी,
-माता!

-उसकीरातें चाँदनी की गरिमा में प्रफुल्लित होरही हैं,
-उसकी जमीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुन्दर ढकी हुई है,
-हँसी की मिठास, वाणी की मिठास,
-माता! वरदान देने वाली, आनन्द देने वाली।

Rashtriya Geet Lyrics in English –

“Vande maataraM
sujalaaM suphalaaM malayaja shiitalaaM
SasyashyaamalaaM maataram | Vande maataraM ||

Shubhrajyotsnaa pulakitayaaminiiM
pullakusumita drumadala shobhiniiM
suhaasiniiM sumadhura bhaashhiNiiM
sukhadaaM varadaaM maataraM | Vande maataraM ||

भारतीय स्वाधीनता संग्राम में इस गीत की निर्णायक भागीदारी के बावजूद जब राष्ट्रगान को चुनने की बात आयी तो वन्दे मातरम् के स्थान पर रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखे व गाये गये गीत जन गण मन को वरीयता दी गयी।

इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण यह था कि कुछ मुस्लिमों को “वन्दे मातरम्” गाने पर आपत्ति थी और उन्होंने इसपर नाराजगी जतायी।

क्योंकि इस गीत में देवी दुर्गा को राष्ट्र के रूप में देखा गया है, इसके अतिरिक्त उनका यह भी मानना था कि यह गीत बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के जिस उपन्यास से लिया गया है वह मुस्लिमों के खिलाफ लिखा गया है।

इन आपत्तियों के मद्देनजर सन् 1937 में कांग्रेस ने इस विवाद पर गहरा चिन्तन किया और जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में गठित समिति जिसमें मौलाना अबुल कलाम आजाद भी शामिल थे, समिति ने पाया कि इस गीत के प्रथम दो पद तो मातृभूमि की प्रशंसा में कहे गये हैं।

लेकिन बाद के पदों में हिन्दू देवी-देवताओं का जिक्र होने लगता है, इसलिये यह निर्णय लिया गया कि इस गीत के शुरुआती दो पदों को ही राष्ट्रगीत के रूप में प्रयुक्त किया जायेगा और इस तरह गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर के जन-गण-मन अधिनायक जय हे को यथावत राष्ट्रगान ही रहने दिया गया।

और मोहम्मद इकबाल के कौमी तराने सारे जहाँ से अच्छा के साथ बंकिमचन्द्र चटर्जी द्वारा रचित प्रारम्भिक दो पदों का गीत वन्दे मातरम् राष्ट्रगीत (Rashtriya Geet Lyrics) स्वीकृत हुआ।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद ने संविधान सभा में 24 जनवरी 1950 में ‘वन्दे मातरम्’ को राष्ट्रगीत के रूप में अपनाने सम्बन्धी वक्तव्य पढ़ा जिसे स्वीकार कर लिया गया।

डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद का संविधान सभा को दिया गया वक्तव्य इस प्रकार है – शब्दों व संगीत की वह रचना जिसे “जन गण मन” से सम्बोधित किया जाता है, भारत का राष्ट्रगान है।

बदलाव के ऐसे विषय, अवसर आने पर सरकार अधिकृत करे और “वन्दे मातरम्” गान, जिसने कि भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभायी है, को जन गण मन के समकक्ष सम्मान व पद मिले, (हर्षध्वनि), मैं आशा करता हूँ कि यह सदस्यों को सन्तुष्ट करेगा। (भारतीय संविधान परिषद, द्वादश खण्ड, 24/01/1950)

मूल राष्ट्रीय गीत लिखा हुआ देवनागरी लिपि में –

वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलाम्
मलयजशीतलाम्
शस्यश्यामलाम्
मातरम्।

शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्
सुखदां वरदां मातरम्॥ १॥

कोटि कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले।
बहुबलधारिणीं
नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं
मातरम्॥ २॥

तुमि विद्या, तुमि धर्म
तुमि हृदि, तुमि मर्म
त्वम् हि प्राणा: शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडी मन्दिरे-मन्दिरे॥ ३॥

त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी,
नमामि त्वाम्
नमामि कमलाम्
अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलाम्
मातरम्॥४॥

वन्दे मातरम्
श्यामलाम् सरलाम्
सुस्मिताम् भूषिताम्
धरणीं भरणीं
मातरम्॥ ५॥

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वंदे मातरम् गीत से जुड़े तथ्य –

1. श्री बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी ने “वंदे मातरम्” का सबसे पहले प्रयोग साल 1880 में अपने सुप्रसिद्ध उपन्यास “आनंदमठ” में किया, इसी उपन्यास से प्रचलित हुए इस गीत का प्रयोग भारत देश (उस समय अंग्रेजों के अधीन था) की मातृभूमि मानने की भावना को प्रज्वलित करने वाले गीतों में पहला गीत है।

2. आजादी के उन दिनों बंगाल में ‘बंग-भंग’ का आंदोलन पूरे जोरों शोरों पर था, आजादी के सेनानियों के लिए यह गीत एक पवित्र मंत्र बन गया।

3. ये वो गीत था जिसने उस समय हर देशवासी के दिलों में देशभक्ति का जोश भर दिया था, आज भी यह गीत देशभक्ति की भावना के साथ पूरे भारत में गाया जाता है।

4. इस गीत के पहले दो पद संस्कृत भाषा में और बाकी के पद बांग्ला भाषा में है, “वंदे मातरम्” मूल गीत के प्रथम पद को ही सरकारी गीत के रूप में मान्यता मिली है।

साथ ही इसकी धुन और गीत को गाने की अवधि को भी सविंधान सभा द्वारा तय किया गया, इस गीत को गाने में 65 सेकेंड (1 मिनट और 5 सेकेंड) का समय लगता है।

5. यदि बांग्ला भाषा को ध्यान से देखें तो राष्ट्रीय गीत का शीर्षक “बन्दे मातरम्” होना चाहिये “वन्दे मातरम्” नहीं, क्या आपने सोचा है इसके पीछे क्या कारण है? तो इसका उत्तर यह है कि हिन्दी व संस्कृत भाषा में ‘वन्दे’ शब्द ही सही है।

लेकिन यह गीत मूल रूप से बाँग्ला लिपि (Bangla Script) में लिखा गया था और अब क्योंकि बाँग्ला लिपि में “व” नाम से कोई अक्षर है ही नहीं अत: बन्दे मातरम् शीर्षक से ही श्री बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने इसे लिखा था, इस तथ्य को अगर ध्यान में रखें तो इस गीत का शीर्षक ‘बन्दे मातरम्’ होना चाहिये था।

6. संस्कृत भाषा में ‘बन्दे मातरम्’ का कोई अर्थ नहीं होता है, जबकि ‘वन्दे मातरम्’ शब्द का अर्थ “माता की वंदना करता हूँ” होता है, यही कारण है कि इसे वन्दे मातरम् ही लिखना और पढ़ना ज्यादा बेहतर है।

7. शुरुआत में दूसरे संप्रदाय के विरोध के कारण यह गीत विवादों का विषय रहा है, कुछ मुस्लिम धार्मिक समूहों ने इसके कथित हिंदू धार्मिक ओवरटोन के कारण राष्ट्रीय गीत के रूप में इसका प्रयोग किए जाने पर नाराजगी दिखाई।

इस कारण से कविता के केवल पहले दो छंदों को आधिकारिक तौर पर 1950 में भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार किया गया।

8. वन्दे मातरम् गीत, भारत में स्कूली पाठ्यक्रम का भी हिस्सा है और इसे छात्रों को पढ़ाया जाता है।

9. अंग्रेजी में इस गीत का अनुवाद “श्री अरबिंदो” के द्वारा किया गया था, जिसे वर्तमान में व्यापक रूप से स्वीकार और उपयोग किया जाता है।

10. इस गाने को जदुनाथ भट्टाचार्य, रवींद्रनाथ टैगोर और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल सहित विभिन्न महान संगीतकारों ने संगीत दिया है।

11. राष्ट्रीय गीत, गणतंत्र दिवस स्वतंत्रता दिवस पर गाया और बजाया जाता है, यह हमारे देश को आजाद कराने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा किए गए बलिदान की एक महत्वपूर्ण स्मृति है।

राष्ट्रीय गीत किसने लिखा है? Rashtriya Geet Written By

श्री बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय जी के द्वारा यह गीत लिखा गया था, मूल रूप से बंगाली भाषा में यह गीत लिखा गया था, बाद में इसे देवनागरी भाषा में अनुवादित किया गया।

राष्ट्रीय गीत का महत्व क्या है?

आजादी के दिनों बंगाल में ‘बंग-भंग’ का आंदोलन पूरे जोरों शोरों पर था, इस गीत ने उस समय हर देशवासी के दिलों में देशभक्ति का जोश भर दिया था, आज भी यह गीत देशभक्ति की भावना के साथ पूरे भारत में गाया जाता है।

राष्ट्रीय गीत को गाने में कितना समय लगता है?

राष्ट्रीय गीत की धुन और गीत को गाने की अवधि को सविंधान सभा द्वारा तय किया गया है, इस गीत को गाने में 65 सेकेंड (1 मिनट और 5 सेकेंड) का समय लगता है।

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