Uranium Kya Hai【यूरेनियम क्या है】परिभाषा, इसका उपयोग और तथ्य

Uranium Kya Hai यूरेनियम क्या है | Uranium Kya Hai in Hindi | Uranium Kya Hota Hai | Uranium Hai | यूरेनियम है | Uranium in Hindi | Symbol of Uranium

अक्सर हम अपनी गाड़ी में पेट्रोल डलाते है, लेकिन टैंक फुल करने के बाद भी यह कुछ सौ किलोमीटर तक ही जाती है, लेकिन क्या हो आप एक बार अपनी गाड़ी में थोड़ा सा फ्यूल डलवाएं और लाखों किलोमीटर तक का सफर तय कर लें, यह आश्चर्यजनक काम करने वाला वह फ्यूल है “यूरेनियम”, भले ही यह असंभव लगता है लेकिन यह मैटेरियल ऐसा है कि इसमें असीमित मात्रा में ऊर्जा है।

Hello Friends, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है, यूरेनियम के बारे में… यह क्या है, इसके क्या फायदे और नुकसान है, इसमें आखिर क्या है कि ये इतनी ऊर्जा दे सकता है, साथ ही इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में उम्मीद करता हूँ आपको यह आर्टिकल पसंद आएगा।

यूरेनियम क्या है? Uranium Kya Hai –

Uranium Kya Hai
Uranium Kya Hai | यूरेनियम क्या है

यूरेनीयम एक रासायनिक पदार्थ है, देखने में यह सिल्वर ग्रे रंग का होता है, यूरेनियम एक सघन, कठोर धात्विक तत्व है, यह लचीला और उच्च पॉलिश लेने में सक्षम है, इसका यौगिक अंधेरे में चमकता है और हरे रंग का मद्धिम प्रकाश छोड़ता है।

यह एक रेडियोएक्टिव पदार्थ है, धरती पर मौजूद अन्य तत्वों की अपेक्षा इसकी थोड़ी सी मात्रा में बहुत ज्यादा ऊर्जा होती है।

अपने अस्थिर गुण के कारण हवा में यह धातु धूमिल हो जाती है और बारीक रूप से विभाजित होने पर आग की लपटों में बदल जाती है, यह विद्युत का अपेक्षाकृत ख़राब चालक है।

यूरेनीयम का परमाणु क्रमांक 98 तथा इसका परमाणु भार 235 होता है, आवर्त सारणी में यह एक्टिनाइड श्रेणी का सदस्य है और इसे अंग्रेजी के अक्षर ‘U’ से प्रदर्शित किया जाता है।

यूरेनियम बहुत ही कठोर धातु होता है, यह इतना मजबूत होता है कि हीरे को भी खुरच सकता है।

परमाणु संख्या92
परमाणु भार 238.03
गलनांक 1,132.3 °C (2,070.1 °F)
क्वथनांक 3,818 °C (6,904 °F)
विशिष्ट गुरुत्व 19.05
ऑक्सीकरण अवस्थाएं+3, +4, +5, +6
गैसीय परमाणु अवस्था का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Rn]5f 36d17s2

यूरेनियम की खोज और इतिहास –

यूरेनियम तत्व की खोज वर्ष 1789 में वैज्ञानिक “मार्टिन हेनरिक क्लैप्रोथ” (Klaproth) द्वारा पिचब्लेंड नामक अयस्क से हुई, उन्होंने इस नए तत्व का नाम कुछ वर्ष पहले ही ज्ञात यूरेनस ग्रह के आधार पर यूरेनियम रखा।

वैज्ञानिक “मार्टिन हेनरिक क्लैप्रोथ” के इस खोज के 52 वर्ष पश्चात्‌ वैज्ञानिक “पेलीगाट” ने 1841 ई0 में यह प्रदर्शित किया कि क्लाप्रोट द्वारा खोजा गया पदार्थ यूरेनियम टेट्राक्लोराइड के पोटैशियम (K) द्वारा अपचयन से यूरेनियम धातु तैयार किया जा सकता है।

इस बाद वर्ष 1896 में वैज्ञानिक “हेनरी बेक्वरेल” ने यूरेनियम में रेडियो ऐक्टिवता की खोज की, उनकी रिसर्च से ज्ञात हुआ कि यह गुण यूरेनियम के सब यौगिकों में तथा कुछ अन्य अयस्कों में भी मौजूद है।

सन् 1869 में रूसी रसायनज्ञ “दिमित्री ईवानोविच मेंडेलीव” ने आवर्त सारणी की निर्माण प्रक्रिया के दौरान, तत्वों को एक क्रम में रखते समय सबसे भारी रासायनिक तत्व के रूप में यूरेनियम को रखा और यह स्थिति 1940 में पहले ट्रांसयूरेनियम तत्व “नेपच्यूनियम” की खोज तक बनी रही।

1896 में फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी “हेनरी बेकरेल” ने यूरेनियम में रेडियोधर्मिता की घटना की खोज की, यह शब्द पहली बार 1898 में फ्रांसीसी भौतिकविदों “मैरी” और “पियरे क्यूरी” द्वारा प्रयोग किया गया था ।

धीरे-धीरे वैज्ञानिक खोजों के बाद यह गुण कई अन्य तत्वों में पाया गया, अब यह ज्ञात है कि यूरेनियम, अपने सभी समस्थानिकों में रेडियोधर्मी पदार्थ है,

प्राकृतिक रूप से यूरेनियम-238 (99.27 प्रतिशत, 4,510,000,000-वर्ष अर्ध-जीवन), यूरेनियम-235 (0.72 प्रतिशत, 713,000,000-वर्ष अर्ध-जीवन), और यूरेनियम-234 (0.006 प्रतिशत, 247,000-वर्ष अर्ध-जीवन) का मिश्रण होता है।

ये लंबी अर्ध-आयु कुछ यूरेनियम युक्त चट्टानों में सीसे, यूरेनियम के अंतिम क्षय उत्पाद, की मात्रा को मापकर पृथ्वी की आयु का निर्धारण संभव बनाती है।

जर्मन रसायनज्ञ ओटो हैन और फ्रिट्ज़ स्ट्रैसमैन द्वारा 1938 के अंत में धीमी गति से न्यूट्रॉन द्वारा बमबारी किए गए यूरेनियम में परमाणु विखंडन की घटना की खोज के बाद यूरेनियम तत्व गहन अध्ययन और व्यापक रुचि का विषय बन गया।

इटली में जन्मे अमेरिकी भौतिक विज्ञानी एनरिको फर्मी ने सुझाव दिया (1939 की शुरुआत में) कि न्यूट्रॉन विखंडन उत्पादों में से हो सकते हैं और इस प्रकार एक श्रृंखला प्रतिक्रिया के रूप में विखंडन जारी रख सकते हैं।

हंगरी में जन्मे अमेरिकी भौतिक विज्ञानी लियो स्ज़ीलार्ड, अमेरिकी भौतिक विज्ञानी हर्बर्ट एल. एंडरसन, फ्रांसीसी रसायनज्ञ फ्रेडरिक जूलियट-क्यूरी और उनके सहकर्मियों ने इस भविष्यवाणी की पुष्टि की (1939); बाद की जांच से पता चला कि विखंडन के दौरान प्रति परमाणु औसतन 21/2 न्यूट्रॉन निकलते हैं।

इन खोजों से पहली आत्मनिर्भर परमाणु श्रृंखला प्रतिक्रिया (2 दिसंबर, 1942), पहला परमाणु बम परीक्षण (16 जुलाई, 1945), युद्ध में गिराया गया पहला परमाणु बम (6 अगस्त, 1945 जापान पर), पहला परमाणु-संचालित पनडुब्बी (1955), और पहला पूर्ण पैमाने पर परमाणु-संचालित विद्युत जनरेटर (1957), में उपयोग में लाए गए।

यूरेनियम का उत्पादन –

पृथ्वी की सतह पर यूरेनीयम की मात्रा 1040 टन है, यह सबसे ज्यादा आस्ट्रेलिया में पाया जाता है, आस्ट्रेलिया पूरी दुनिया का 29 प्रतिशत यूरेनियम अकेले ही उत्पादन करता है, वजन के हिसाब से यह मात्रा 17 लाख टन होती है।

इसके बाद 1 लाख टन के साथ कजाखस्तान का नंबर आता है, इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर रूस, चौथे नंबर पर कनाडा और पांचवें नंबर पर नाइजर आता है।

भारत में यूरेनियम के भंडार मौजूद है, लेकिन भारत में मौजूद यूरेनीयम की क्वालिटी सबसे कम है।

शुरुआती रूप में यह अशुद्धि के रूप में पाया जाता है, बाद में इसके अयस्क को निकालकर रासायनिक विधियों द्वारा शुद्ध यूरेनियम बनाया जाता है।

यूरेनियम अयस्क भंडार पृथ्वी के गर्भ में स्थित सांद्र यूरेनियम है, जो आर्थिक रूप से उन्नति के लिए निकाला जाता है, यूरेनियम धरती के गर्भ में पाया जाने वाला बहुत आम तत्व है, जो चाँदी से 40 गुणा और सोने से पाँच सौ गुणा अधिक पाया जाता है।

यह लगभग हर पहाड़, मिट्टी, नदियों और महासागरों में पाया जा सकता है, लेकिन इसमें मुश्किल केवल उन इलाकों को ज्ञात करने की है, जहाँ यह ज्यादा शुद्ध अवस्था में पाया जाता है।

Uranium Kya Hai in Hindi
यूरेनियम की एक डिस्क | Uranium Kya Hota Hai

यूरेनियम (रासायनिक प्रतीक U) प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक रेडियोधर्मी तत्त्व है। अपनी प्राकृतिक अवस्था में यूरेनियम के तीन समस्थानिक (U-234 (0.0057%), U-235 (0.72%) और U-238 (99.28%) होते हैं।

साथ ही U-232, U-233, U-236 और U-237 इसके अन्य ऐसे समस्थानिक हैं जो प्राकृतिक यूरेनियम में नहीं मिलते हैं।

यूरेनियम पृथ्वी की संपूर्ण ऊपरी सतह पर फैला है। ऐसा अनुमान है कि पृथ्वी की पपड़ी में यूरेनियम की मात्रा लगभग 1014 टन है। इस प्रकार इसकी मात्रा लगभग 1 ग्राम शैल में 4×10-6 होगी। इसकी मात्रा अम्लीय शैल (जैसे ग्रैनाइट) में अधिक और क्षारीय शैल (जैसे बेसाल्ट) में कम रहती है।

समुद्री जल में भी यूरेनियम उपस्थित है, यद्यपि समुद्री जल में इसकी मात्रा शैल में उपस्थित मात्रा का 1/2000वाँ भाग है। इतने विस्तार से फैले होने के पश्चात्‌ भी इसके केवल दो मुख्य अयस्क ज्ञात हैं, एक पिचब्लेंड और दूसरा कॉर्नोटाइट।

पिचब्लेंड गहरे नीले काले रंग का अयस्क है, जिसमें यूरेनियम ऑक्साइड, (U3 O3), उपस्थित रहता है। कॉर्नोटाइट मुख्यत: पोटैशियम और यूरेनियम का जब्लि वैनेडेट, (K2 U2 V2O12, 3H2O) ज्ञात होता है।

पिचब्लैंड अयस्क के मुख्य निक्षेप कांगो, अफ्रीका तथा कनाडा में हैं। इनके अतिरिक्त चेकोस्लोवाकिया, ऑस्ट्रेलिया अमरीका, पूर्वी अफ्रीका, इंग्लैंड में भी यह अयस्क मिलता है।

कॉर्नोटाइट अमरीका तथा ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है। भारत के झारखण्ड में यूरेनियम के अयस्कों की खोज हुई है।

धरती की भूपर्पटी के प्रति दस लाख हिस्से में यूरेनियम का लगभग दो भाग होता है, कुछ महत्वपूर्ण यूरेनियम खनिज हैं पिचब्लेंड (अशुद्ध U3 O3), यूरेनिनाइट (UO2 ), कार्नोटाइट ( पोटेशियम यूरेनियम वैनाडेट), ऑटुनाइट (कैल्शियम यूरेनियम फॉस्फेट), और टोरबर्नाइट ( कॉपर यूरेनियम फॉस्फेट)।

यूरेनियम का उत्पादन करने वाले देश –

देश खनन उत्पादन (मीट्रिक टन)उत्पादन प्रतिशत
Kazakhstan22,574 37.9
Canada 9,332 15.6
Australia 6,35010.6
Niger* 4,5287.6
Namibia 4,315 7.2
Russia 3,135 5.3
Uzbekistan* 2,4004.0
United States 1,835 3.1
China* 1,450 2.4
Malawi 1,132 1.9
Ukraine 1,075 1.9
South Africa 5400.9
India* 400 0.7
Czech Republic 225 0.4
Brazil 198 0.3
Romania* 800.1
Pakistan* 41 0.1
Germany 27 0.0

* अनुमानित, ये आँकड़े वर्ष 2013 के यूरेनियम उत्पादन के है।

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यूरेनीयम के फायदे और उपयोग –

1 किलोग्राम यूरेनियम-235, 80 टेराजूल जितनी ऊर्जा उत्पन्न करता है, यह इतनी ऊर्जा है कि इतनी ही मात्रा के यूरेनियम से 24,000 मेगावाट बिलजी उत्पन्न की जा सकती है।

परमाणु ईंधन के स्रोत के रूप में ये और अन्य पुनर्प्राप्ति योग्य यूरेनियम अयस्कों में कई गुना अधिक ऊर्जा होती है।

जीवाश्म ईंधन के सभी ज्ञात पुनर्प्राप्ति योग्य भंडारों की तुलना में, मात्र एक किलोग्राम यूरेनियम से 3000 टन कोयले के बराबर ऊर्जा कोयले जितनी ऊर्जा प्राप्त होती है।

ऊर्जा के खास गुणों और इसके संस्थानिकों के गुणों के कारण इसका बहुत से क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है, इसका प्रयोग तरह-तरह की इंडस्ट्री में होने के कारण यूरेनियम आज के समय में बहुत ही जरूरी तत्व हो गया है।

Uranium Kya Hai in Hindi
परमाणु रिएक्टर में प्रयोग करने के लिए यूरेनियम की छड़ों का बंडल

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नाभिकिय ऊर्जा युग के पहले यूरेनियम का उतना अधिक उपयोग नहीं होता था, पहले इसका उपयोग कुछ विशेष प्रकार के तंतुओं में होता था, इसके लवण रेशम को रंगने का कार्य करते हैं, सोडियम डाइयूरेनेट का उपयोग पोर्सलीन के बरतनों को कलर करने में प्रयोग होता था।

वैज्ञानिक रिसर्च के बाद नए खोज के पश्चात परमाणु ऊर्जा प्रयोगों के कारण यूरेनियम अत्यधिक उपयोगी तत्व हो गया है।

इसका उपयोग नाभिकीय शृंखला अभिक्रिया में हुआ है, इस क्रिया में 235 भार संख्या वाला समस्थानिक बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुआ है।

अनियंत्रित अवस्था में इस क्रिया द्वारा भयंकर विस्फोट हो सकता है, जैसा कि परमाणु बमों में हुआ है और पटाखों में हम देखते है, लेकिन नियंत्रित रूप में यह रिऐक्टर (atomic reactor) चलाने के काम में लिया जाता है।

कुछ रिऐक्टरों में साधारण यूरेनियम (जिसमें U235 समस्थानिक 0.71 प्रतिशत हो) उपयोग में लाया जाता है, परंतु अनेक रिऐक्टरों में समृद्ध यूरेनियम (Enriched Uranium) काम में लाते हैं, इसमें 235 समस्थानिक का प्रतिशत बढ़ा दिया जाता है।

यूरेनियम के प्रयोग निम्न क्षेत्रों में किया जाता है –

  • इसका प्रयोग अनेक मिश्र धातुओं के निर्माण में किया जाता है।
  • यूरेनियम के नाइट्रेट और एसीटेट का उपयोग फोटोग्राफी में किया जाता है।
  • यूरेनियम-235 का उपयोग परमाणु शक्ति के रूप में किया जाता है।
  • इसका ज्यादातर उपयोग बिजली बनाने में किया जाता है।
  • यूरेनियम-238 का उपयोग दूसरे रासायनिक तत्व प्लूटोनियम-239 के उत्पादन में किया जाता है।
  • प्राचीन समय में यूरेनियम यौगिकों का उपयोग रंगीन कांच बनाने में और कुछ विशेष प्रकार के तंतुओं में होता था, इसके लवण रेशम को रंगने का कार्य करते हैं।
  • सोडियम डाइयूरेनेट का उपयोग पोर्सलीन के बरतनों को कलर करने में प्रयोग होता था।
  • डेप्लेटेड यूरेनियम (Depleted Uranium) का उपयोग सेना के टैंक के कवच (Armor) बनाने में किया जाता है।
  • यूरेनियम के आइसोटोप यूरेनियम-238 का उपयोग आग्नेय चट्टानों की उम्र जांचने (Dating) और अन्य रेडियोमेट्रिक डेटिंग के लिए किया जाता है।
  • परमाणु बम के अलावा यूरेनियम का उपयोग मिसाइल, छोटे गोले और गोलियाँ बनाने में भी किया जाता है।

यूरेनीयम का शोधन –

धरती में प्राकृतिक रूप से प्राप्त यूरेनियम में यूरेनियम-235 की मात्रा केवल 0.007% होती है शेष 99.284% यूरेनियम-238 होता है। जिस यूरेनियम में यूरेनियम-235 की प्रतिशत मात्रा किसी विधि से बढ़ा दी गयी हो उसे संवर्धित यूरेनियम (Enriched Uranium) कहते हैं।

U-235 ही प्राकृतिक रूप से प्राप्त एकमात्र आइसोटोप (समस्थानिक) है जो उष्मीय न्यूट्रानों (thermal neutrons) द्वारा विखंडित हो सकता है।

संवर्धित यूरेनियम नाभिकीय रिएक्टर बनाने अथवा सैन्य हथियार (परमाणु बम) बनाने के लिये अति आवश्यक है, अन्तरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेन्सी विश्व भर में संवर्धित यूरेनियम पर नजर रखती है, ताकि कोई देश इसका गलत इस्तेमाल न कर सके।

अल्प संवर्धित यूरेनियम –

इसमें यूरेनियम-235 की मात्रा २०% से कम होती है, सामान्य तौर पर 3 से 5% यूरेनियम-235 नाभिकीय रिएक्टर के लिए एकदम उपयोगी होता है।

अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम –

इस प्रकार के यूरेनियम में अल्प संवर्धित यूरेनियम से भी ज्यादा इसमे यूरेनियम-235 की मात्रा होती है।

यूरेनियम-235 की यह शुद्धता 20% से लेकर 80% तक होती है, इतना शुद्ध यूरेनियम नाभिकीय अस्त्रों (परमाणु बम) के विकास के लिए उपयुक्त होती है।

यूरेनियम संवर्धन की विधियाँ –

पृथ्वी से निकलने वाले अशुद्ध यूरेनीयम को शुद्ध करने की अलग-अलग विधियाँ प्रचलित है, जिनका औद्योगिक स्तर पर प्रयोग किया जाता है।

विसरण पर आधारित तकनीक के द्वारा –

गैसीय विसरण
तापीय विसरण

अपकेंद्रित्र (Centrifuge) तकनीक के द्वारा –

गैस अपकेन्द्रित्र
जिप्प अपकेन्द्रित्र (Zippe centrifuge)

लेजर तकनीक के द्वारा –

परमाणु वाष्प लेजर द्वारा विखण्डनीय समस्थानिक को पृथक करने की तकनीक (AVLIS)
आण्विक लेजर समस्थानिक परिष्करण (MLIS)
लेजर उत्तेजन द्वारा समस्थानिकों का परिष्करण (SILEX)

अन्य प्रचलित विधियाँ –

वायुगतिकीय प्रक्रम (Aerodynamic processes)
विद्युताचुम्बकीय समस्थानिक परिष्करण
रासायनिक विधियों से परिष्करण
प्लाज्मा (Plasma) द्वारा परिष्करण

यूरेनियम के यौगिक –

अलग-अलग तत्वों के मिलने से यूरेनियम के अलग-अलग यौगिक बनते है, यूरेनियम के बनने वाले यौगिक कुछ इस प्रकार है –

यूरेनियम ऑक्साइड –

यूरेनियम के पाँच ऑक्साइड ज्ञात हैं, यदि किसी यूरेनियम ऑक्साइड का 700 डिग्री सेन्टीग्रेट तापमान पर वायु की उपस्थिति में दहन किया जाय तो (U3O3) बनता है।

यूरेनिल नाइट्रेट के 300 डिग्री सेन्टीग्रेट पर ऊष्मा विघटन से (UO3) का निर्माण होगा, (UO3) के अनेक क्रिस्टलीय रूपांतरण (crystal modifications) हैं।

जब 500 डिग्री सेन्टीग्रेट ताप पर (UO3) का हाइड्रोजन द्वारा अपचयन किया जाय, तो (UO2) का निर्माण होगा।

यूरेनियम के अभी ऑक्साइड नाइट्रिक अम्ल में घुलकर यूरेनिल नाइट्रेट बनाते हैं, यूरेनियम ऑक्साइड को ‘येलो केक ‘ भी कहा जाता है, इसका कलर पीले रंग का होता है।

यूरेनिययम हाइड्राइड –

यूरेनियम धातु हाइड्रोजन से लगभग 250 डिग्री सेन्टीग्रेट ताप पर क्रिया कर यूरेनियम हाइड्राइउ, (UH3), बनाता है, अधिक तापमान पर इस हाइड्राइड, का विघटन हो जाता है, यूरेनियम हाइड्राइड के उच्च ताप पर विघटन से चूर्ण यूरेनियम प्राप्त होता है, इस हाइड्राइड द्वारा क्रियाशील यूरेनियम चूर्ण का निर्माण किया जाता है।

यूरेनियम कार्बाइड –

यूरेनियम के दो कार्बाइड ज्ञात हैं, ये कार्बन और द्रव यूरेनियम की अभिक्रिया द्वारा बनाए जाते हैं, कार्बन मोनोऑक्साइड और यूरेनियम धातु की उच्च ताप पर अभिक्रिया द्वारा भी इनका निर्माण हो सकता है।

यूरेनियम नाईट्राइड –

नाइट्रोजन के साथ प्रतिक्रिया कर यूरेनियम अनेक यौगिक बनाता है, जिनमें सबसे सरल यूरेनियम मोनोनाइट्राइड, (UN) का निर्माण है।

यूरेनियम हैलाइड –

यूरेनियम अनेक प्रकार के हैलाइड बनाता है। इसके सात फ्लोराइड, चार क्लोराइड, दो ब्रोमाइड और दो आयोडाइड ज्ञात हैं। यूरेनियम के अन्य हैलाइड यौगिक तत्वों की अभिक्रिया, अथवा हाइड्राइड पर हेलोजन अम्ल की क्रिया, द्वारा निर्माण किया जा सकता है।

यूरेनियम से जुड़े फ़ैक्ट –

1. धरती पर यूरेनियम बहुत दुर्लभ नहीं है, यह व्यापक रूप से चारों तरफ पर्यावरण में फैला हुआ है, इसलिए इससे बचना असंभव ही है।

2. धरती की मिट्टी में यूरेनियम की सूक्ष्म मात्रा पाई जाती है, इसलिए धरती पर जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियों में सूक्ष्म मात्रा में यूरेनियम पाया जाता है।

3. मूली में यूरेनियम की मात्रा थोड़ी अधिक हो सकती है, लेकिन यह मात्रा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होती।

4. 1896 में पहली बार यूरेनियम की रेडियोधर्मिता का पता लगाया गया।

5. युद्ध में इस्तेमाल किया गया पहला परमाणु बम यूरेनियम-235 से बनाया गया था, यह बम जापान के हिरोशिमा शहर पर गिराया गया था। जबकि जापान के नागासाकी शहर पर गिराया गया परमाणु बम प्लूटोनियम से बना था, जो ज्यादा खतरनाक था।

6. प्राकतिक रूप से यूरेनियम के केवल 3 आइसोटोप पाए जाते है, यूरेनियम-234, यूरेनियम-235 और यूरेनियम-238, इनमें से केवल यूरेनियम-235 ही परमाणु ऊर्जा के लिए उपयोग किया सकता है।

7. प्राकृतिक रूप से अधिकतर यूरेनियम-238 ही पाया जाता है, जबकि प्राकतिक रूप से यूरेनियम-235 केवल 0.7 % ही पाया जाता है, इससे ज्यादा प्रतिशत के लिए इसे शुद्ध किया जाता है।

8. यूरेनियम का पाउडर अचानक अपने आप ही (Self-Ignite) जल उठता है।

9. एक किलोग्राम यूरेनियम से 3000 टन कोयले के बराबर ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।

यूरेनियम किस काम आता है?

इसका प्रयोग अनेक मिश्रधातुओं के निर्माण में, फोटोग्राफी में, परमाणु शक्ति के रूप में और ज्यादातर उपयोग बिजली बनाने में किया जाता है।

यूरेनियम कैसा दिखता है

यूरेनीयम एक रासायनिक पदार्थ है, देखने में यह सिल्वर ग्रे रंग का होता है।

यूरेनियम कहाँ पाया जाता है?

यूरेनियम बहुत से देशों में पाया जाता है लेकिन यह सबसे ज्यादा आस्ट्रेलिया में पाया जाता है।

यूरेनियम 238 क्या है?

यूरेनियम 238, यूरेनियम का एक समस्थानिक है।

यूरेनियम कौन-सा धातु है?

यूरेनियम अत्यंत कठोर, अस्थिर तथा रेडियोऐक्टिव धातु है।

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Summary –

यूरेनियम के अपने खास ऊर्जा के गुण के कारण यह हमारे लिए बहुत जरूरी हो गया है, आज के समय में हमारी बिजली की जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा यूरेनियम के द्वारा ही बनाया जाता है।

अगर देखा जाए तो इसके फायदे तो बहुत सारे है लेकिन यदि सही तरीके से प्रयोग में न लाया जाए तो यह मानव जीवन के लिए बहुत बड़ी आपदा भी है, इतिहास में इससे जुड़ी बहुत घटनाएं हुई है, जो हमें इसकी तबाही को दिखती है।

तो दोस्तों, यूरेनियम क्या है? इस विषय के बारे में यह लेख आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं नीचे कमेन्ट बॉक्स के माध्यम से यदि आपके पास इससे संबंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो उसे भी जरूर लिखें, धन्यवाद 🙂

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